उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
|
7 पाठकों को प्रिय 362 पाठक हैं |
तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
मैं हारुन की आँखों में अब और धूल झोंक सकूँ, इसीलिए मेरा मायके जाना बन्द! इस घर से बाहर पैर निकालना बन्द! हारुन ने मुझे किसी पिन्जरे में कैद कर लिया था। अनीस ने मुझे बॉक्स बाजार की सैर पर जाने को कहा है। उसने मुझे वारी जाने की सलाह दी है। अनीस समझ गया है कि मैं अन्दर-ही-अन्दर बेतरह बेचैन रहती हूँ। इस घिसी-पिटी, घुटनभरी ज़िन्दगी में, मेरा दम घुटने लगा है। टुकड़ा भर आसमान देखने के लिए, मुझे इस कोठी के बित्ता भर बरामदे में खड़ी होना पड़ता है; गाड़ी की खिड़की से झाँकना पड़ता है! सुना है कि जो इन्सान खुला आसमान नहीं देख पाता, प्रकृति की गोद में जाकर स्निग्ध हँसी नहीं बिख्नेर पाता, उसके मन को जंग लग जाती है।
इस मकान की निचली मन्ज़िल में एक दम्पती किराएदार बसे हैं। बीवी डॉक्टर है! मेरी बीमारी के दौरान, वह डॉक्टर बहू कई बार ऊपर, मेरी खैरियत पूछने आती रही। मैंने उसे भी नहीं बताया कि गर्भपात के बाद, मुझे बुखार चढ़ गया है। दवा-दारू से स्वस्थ हो लेने के बाद, सेवती, मुझे कुछेक विटामिन थमा गई थी। जिस दिन वह विटामिन देने आई थी, वह ज़रा फुर्सत में थी। इसलिए काफ़ी देर तक बैठी-बैठी मुझसे गपशप करती रही। यह गपशप मियाँ-बीवी या घर-गृहस्थी के बारे में नहीं थी, किसी और ही तरह की थीं।
एक बार वह बाघ देखने, सुन्दरवन गई थी! वहाँ उसने बाघ देखा भी! उसी बाघ की कहानी! बाघ नामक.जीव बेहद अकेला होता है। सिंहों की तरह उसका सामाजिक जीवन नहीं होता। उसके किस्से सुनकर मुझे बाघों पर असीम ममता उमड़ती रही। ये बाघ कैसा असम्भव अकेलापन झेलते हैं! सहवास के मौसम में बाघ और बाघिन साथ-साथ रहना शुरू करते हैं। बच्चे के जन्म देने के बाद बाधिन, बाघ को खदेड़ देती है। बाघ कहीं अपने ही बच्चों को निगल न जाए!
सेवती का पति, अनवर, कोई एन जी ओ चलाता था। सेवती ढाका मेडिकल में डॉक्टर थी। जिस दिन उसकी रात की ड्यूटी होती है, दिन-भर कमरे में बैठे-बैठे, खामख़ाह वक़्त बर्बाद करने के बजाए, वह मुझसे गपशप करने के लिए, ऊपर चली आती है। इस तरह धीरे-धीरे सेवती से मेरी एक किस्म की दोस्ती का रिश्ता बन गया है। घर में भी किसी ने इस पर एतराज़ नहीं जताया। इस घर में लोग सेवती को काफी पसन्द करते हैं। जब वह आती है, सासजी भी काफ़ी खुश हो जाती हैं। वे उसके सामने अपने बदन-दर्द, श्वसर के गठिए का दर्द, दाँत-दर्द सारा कछ बयान करतः। सेवती उनके लिए दवा लिख देती। मफ्त का डॉक्टर मिल जाए, तो उसे दिखाने का मन किसका नहीं होता? सेवती इस घर में बैठकघर की मेहमान नहीं थी। वह मेरे बेडरूम में, किसी भी वक़्त, अनायास ही दाखिल हो सकती थी।
|