उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
|
7 पाठकों को प्रिय 362 पाठक हैं |
तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
मैंने बेहद धीमी आवाज़ में कहा, 'हाँ, बुख़ार तो नहीं है, लेकिन भयंकर सिरदर्द है।'
सिरदर्द? यह तकलीफ़ तो उन्हें हर वक़्त रहती है। सिरदर्द हो, तो सिर पर ठंडा पानी उड़ेल लो, बस, सिरदर्द खत्म! यह कोई ख़ास बात नहीं है। बहरहाल, मुझे भी सिर पर ठंडा पानी उड़ेलना पड़ा। लेकिन मेरे बाथरूम पहुँचने से पहले ही सासजी ने लम्बी-सी उसाँस छोड़ी। यह लम्बी उसाँस मेरे लिए नहीं, दोलन के लिए थी। सोनल का पति तम्बाकू कम्पनी में नौकरी करता था। वह नौकरी जाती रही। अब अनीस, दोलन का पति, इसी घर में अड्डा जमाए हुए था। हारुन ही अगर थोड़े रुपए-पैसे देकर, छोटा-मोटा कारोबार शुरू करा दे तो उसकी जान बचे। वैसे सासजी अक्सर अपने दोनों बेटों, हसन और हबीब के भविष्य को लेकर ही फिक्रमन्द रहती थीं। उन दोनों, में से किसी का भी मन पढ़ने-सुनने में नहीं लगता था। हसन ने आई. ए. तक पढ़ाई की, हबीब मैट्रिक पास करने के बाद, सिर्फ नाम के लिए कॉलेज मं भर्ती हुआ, लेकिन क्लास करने या इम्तहान देने का नाम-गंध तक नहीं था। वैसे समाज-संसार के बारे में हसन को कोई दिलचस्पी नहीं थी। घर में वह किसी के साथ भी किच-किच में नहीं पड़ता था। मेज़ पर उसके लिए खाना परोस दिया जाता, तो भले दाल-भात हो या मांस-मछली, वह जुबान से एक शब्द भी नहीं निकालता था, बस, ख़ामोशी से खाकर उठ जाता था। ऐसा मुँहचोर लड़का अचानक एक शाम, जैसे-तैसे लाल सुर्ख साड़ी पहने, बारह-तेरह साल की एक लड़की को घर ले आया-मैंने इससे व्याह कर लिया है-उसने सूचना दे डाली। वह लड़की फूट-फूटकर रो रही थी। एक सफ़ेद रूमाल में नाक-आँख का पानी पोंछते-पोंछते, अपनी बड़ी आँखों से सबको टुकुर-टुकुर देख रही थी। उस लड़की के मुँह से लार टपक-टपककर, ठुड्डियों से नीचे बह रहा था। घर के सभी लोग भयंकर विस्मय से आँखें फाड़े, मुँह बाए टकटकी वाँधकर, उस लड़की को घूरे जा रहे थे। हसन इस लड़की को आखिर कहाँ से उठा लाया? रास्ते से? या किसी बदनाम मुहल्ले से? या किसी सज्जन आदमी के घर से भगा लाया है? फटी-फटी आँखें एक-दूसरे के चेहरे पर घूमने लगीं, माथे पर संशय की सलवटें, एक-एक करके बढ़ती गईं। हसन जब उस लड़की का हाथ पकड़कर अन्दर के कमरे की ओर जा रहा था, मेरे ससुर साहब हसन के बाल अपनी मट्ठी में कसकर, उसे बेदर्दी से खींचते-घसीटते बैठक वाले कमरे में ले गए। हारुन भी घिसटते हए हसन के पीछे-पीछे दौड़ा और उसने हसन की गाल पर कसकर एक थप्पड़ जड़ दिया। यह देखकर लाल साड़ी में लिपटी वह लड़की फ़र्श पर लोट गई और भाँय-भाँय रो पड़ी।
ऐसा क्या घट गया?
अपनी नाक और आँख के पानी में लगभग नहाते हुए, लाल साड़ी ने बताया कि खील-गाँव ऑफ़िसर्स कॉलोनी में उसके पिता का घर है। हसन का हाथ थामकर वह घर से अपनी मर्जी से भाग आई है।
|