उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
उसकी दोनों बाँहें कसकर दबाते हुए, मैंने सवाल किया, 'हमारा पहला-पहला बच्चा, तुम मार डालना चाहते हो? यह तुम्हें क्या हो गया है, बताओ तो? अचानक ऐसा क्या हो गया? अचानक तुम बदल क्यों गए हो? तुम्हें यह बुद्धि कौन दे रहा है? तुम्हें और कौन भा गई है? किसे देखकर, तुम हमारे पहले बच्चे की खबर सुनकर भी खुश नहीं हुए? अब यह फ़रमा रहे हो कि बच्चा गिरा दो?'
हारुन ने झटका देकर, मेरी हथेली से अपने को छुड़ाते हुए जवाब दिया, 'कुल डेढ़ महीनों में भला कोख में बच्चा आ जाता है?'
'मतलब?'
'मतलब जो है, सो है!'
'मुझे तुम्हारी बात ठीक-ठीक समझ में नहीं आई।'
'समझ तुम ठीक ही गई हो।'
'डॉक्टर ने तो बता ही दिया कि मैं माँ बनने वाली हूँ। उसने और कुछ तो नहीं कहा। तुम्हें डॉक्टर की बात पर भरोसा नहीं है?'
'भरोसा तो है!'
'तब यह क्यों कह रहे हो कि डेढ़ महीने में भला कोख में बच्चा आता है?'
'नहीं आता, तभी तो कह रहा हूँ।'
'तो फिर यह सब क्या है? डॉक्टर ने क्या गलत कहा?'
'डॉक्टर ने ग़लत नहीं कहा। तुम्हारे पेट में बच्चा है, यह सच है।'
'फिर?'
'फिर और क्या? वह बच्चा गिराना होगा।'
'क्यों?'
'वजह तुम ज़रूर जानती हो!'
'क्या वजह है?'
'इतना नासमझ बनने का नाटक क्यों कर रही हो? तुम्हें क्या सच ही इसकी वज़ह नहीं मालूम? तुम पूछ रही थी न कि इस बच्चे का चेहरा कैसा होगा? तुम यह हक़ीक़त अच्छी तरह जानती हो कि इस बच्चे की सूरत-शक्ल मेरी तरह हरगिज़ नहीं होगी।'
'क्यों नहीं होगी?'
'नहीं होगी, क्योंकि मैं इस बच्चे का बाप नहीं हूँ।'
'तब यह किसका बच्चा है? यह बच्चा कहाँ से आया?'
'कहाँ से आया, यह तो तुम्हें ही अच्छी तरह पता होगा।'
'मुझे पता है और तुम्हें नहीं पता?'
“मुझे भला कहाँ से पता होगा? मुझे यह जानने की क्या पड़ी है कि तुम किसका बच्चा अपनी कोख में लेकर, इस घर में आई हो। क्यों तुमने ब्याह के लिए इतनी ज़ोर-ज़बर्दस्ती की? ब्याह के लिए तुम्हें इतनी हड़बड़ी क्यों थी, यह मुझे पहले कहाँ समझ में आया था? अब सारी बात बिल्कल साफ़ हो गई-'
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