उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
खाना-पीना निपट जाने के बाद, जब चाय का दौर चल रहा था, मेहमानों में राजनीति, अर्थनीति, व्यापार-कारोबार, नौकरी-चाकरी, समाज, घर-गृहस्थी वगैरह पर बतकही छिड़ी हुई थी, सबको ख़ामोश करते हुए, मैं उठ खड़ी हुई।
'सुनिए, सुनिए, मेरे डार्लिंग पति और प्रिय बन्धुओ, मुझे कुछेक ज़रूरी बातें करनी है! चौंकाने वाली कुछेक बातें भी हैं।'
सबकी निगाह मुझ पर पड़ गई। सबके कान सजग! मन सजग!
'मेरे गाल पर अगर कोई एक तमाचा लगाता है, तो मैं उसे डबल तमाचा जड़ देती हूँ, चाहे एक दिन बाद या एक युग बाद! मैं क्या भयंकर गुनाह करती हूँ?'
चन्दना और नादिरा ने चीखकर जवाब दिया, बिलकुल नहीं! बिल्कुल नहीं!'
'देखिए, मेरे हाथ में यह एक काग़ज़ है...।'
कमरे में मौजूद मेहमानों के सामने मैंने एक काग़ज़ लहरा दिया।
मुझे रोकते हुए, नादिरा ने पूछा, किसने तेरे गाल पर तमाचा जडा, जरा सुनूँ?'
मैंने ज़ोर का ठहाका लगाया, वो आरजू! उस आरजू ने ही किसी दिन, मुझे ज़ोर का तमाचा जड़ा था।'
आरजू एकदम से उछल पड़ा, अरे, झूमुर ने गाँजा पी रखा है! गाँजा!'
'अच्छा? तुझे याद नहीं? मधु की कैन्टीन में बैठे-बैठे हम सब राजनीति पर बातें कर रहे थे! तू था पीकिंगपन्थी, मैं थी मॉस्कोपन्थी। माओत्सेतुंग को गाली दे बैठी, इसलिए तैश में आकर, मेरे गाल पर थप्पड़ जड़ दिया था।'
हतबुद्ध आरजू के गालों पर दो नरम-नरम चपत जमाते हुए, मैंने वह काग़ज़ दुबारा लहराया।
'कोई अन्दाजा लगा सकता है, इस काग़ज़ में क्या लिखा है? कैसा है यह काग़ज़?'
हारुन ने इन्कार में सिर हिला दिया। ना, इसका अन्दाजा लगाना, उसके बूते के बाहर है।
'यह निकाहनामा है-' चन्दना ने कहा।
नादिरा ने उसकी बात पर जोर का ठहाका लगाया, पता नहीं! तलाकनामा भी हो सकता है।'
'कविता लिखी है तूने?' सुभाष ने सवाल किया।
आरजू ने छौंका लगाया, लेनिन का भाषण तो नहीं है?'
'यह मेरा नौकरी में नियुक्ति-पत्र है! एप्वाइन्टमेन्ट लेटर!'
एक साथ सबकी निगाहें विस्फारित हो उठीं।
'मिखारुन्निसा नून स्कूल में टीचर की नौक़री! कल सुबह नौ बजे मैं नौक़री ज्वाएन करूँगी।'
सबने ताली बजाई! हारुन को छोड़कर!
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