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शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास


क्लिक! आरजू के नए कैमरे में! कैमरे में मेरा उदास चेहरा! सुभाष की सकुचाई हुई भंगिमा! लेकिन आरजू और ज़्यादा तस्वीरें चाहता था। उसने मुझे खींचकर हारुन की गोद में बिठा दिया।

'अरे, हारुन भाई, यूं ठंडी-ठंडी मुद्रा नहीं, गर्मजोशी भरा आलिंगन चाहिए! हाँ, जरा मुस्कराएँ! नहीं, नहीं, बनावटी मुस्कान नहीं, असली मुस्कान की! सचमुच की!' इतना कहकर वह ताबड़तोड़ क्लिक करता गया! कैमरे की क्लिक-क्लिक गूंज उठी। चन्दना ने आनन्द को मेरी गोद में बिठा दिया! बस,–'छोटा परिवार, सुखी परिवार का शोर गूंज उठा! एक बाँह में आनन्द को और दूसरी बाँह में हारुन को लपेटे, परिवार की सुखी औरत खिलखिलाकर हँस पड़ी। क्लिक-क्लिक!

इसके बाद कैमरा हारुन को थमा दिया गया, अब, भइए, जरा तुम बटन दबाकर क्लिक करते रहो-' इतना कहकर, पुराने दोस्तों के कन्धे पर टिककर, किसी की कमर में हाथ डालकर, मैं पीठ टिकाकर खड़ी हो गई। हारुन आज्ञाकारी पति की तरह खटाखट, कैमरा क्लिक करता रहा। वह कैमरा क्लिक करता रहा, मगर उसके माथे पर कोई बल नहीं पड़ा। वह शायद यह सोच रहा था कि जब यह औरत उसकी गृहस्थी के खून-मांस, दिल-दिमाग में इस तरह समा गई है, जब बेटे से बँध ही गई है, तो कभी-कभार उसे ढील देने में कोई हर्ज नहीं है। अगर उसे अपनी संगी-साथियों को खिलाने-पिलाने का इतना ही चाव है, तो एकाध दिन, चलो, ऐसा ही सही। ढील देने में कोई हर्ज तो नहीं है, बल्कि ढील देने का भरपूर मजा भी लिया जा सकता है। लेकिन मैं उसे यह समझाना चाहती हूँ कि लगाम ढीली करने में कहीं, कोई असंगति नहीं है। सुभाष और आरजू से ठीक-ठीक मेरा क्या रिश्ता है मुझे यह समझाने का भी मौका मिल गया।

आनन्द, मेरे तमाम दोस्तों की गोद में बारी-बारी से लुढ़कता-पढ़कता रहा। हो-हल्ला, गाना-बजाना, हँसी-मजाक में लगभग आधी रात आ पहुँची। मैं हारुन को यह समझाना चाहती थी कि दोस्तों का संग-साथ मुझमें और ही तरह का प्राण भरता है। मुझे अहसास होता है कि मैं मैं ही हूँ और ज़िन्दगी में इस तरह का अहसास भी जरूरी है। मैं उसे समझाना चाहती हूँ कि पति सन्तान की दुनिया से बाहर भी इन्सान की एक ज़िन्दगी होती है और उस ज़िन्दगी की काफी कीमत भी होती है।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

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