लोगों की राय

उपन्यास >> शोध

शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

362 पाठक हैं

तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास


सुजीत की मौत के बाद, मेरी आवाज़ में भी जोर नहीं रहा कि मैं सुभाष से कहूँ-यह देश तेरा भी है। लोग यही जानते हैं कि सुजीत सड़क हादसे में मारा गया, लेकिन अभी पिछले दिनों पापा ने उस हादसे के बारे में सच्ची बात बताई थी। नहीं, कोई सड़क-दुर्घटना नहीं हुई थी। सुजीत अर्मनीटोले के मैदान में फुटबॉल खेल रहा था। खेल के मैदान से ही उसकी जान-पहचान के दो लड़के उसे बुला ले गए। उसे सीधे मस्ज़िद ले गए।

मस्जिद में दाखिल होते ही, सुजीत ने दरयाफ़्त किया, 'मुझे यहाँ क्यों ले आए?'
 
उन लडकों का जवाब था, यहाँ तू मसलमान बनेगा। कह-ला इलाहा इल्लल्लाह!'

सुजीत ने वहाँ से भाग जाने की कोशिश की। उन दोनों लड़कों ने उसे कसकर दबोच लिया। लाचार होकर, सुजीत चिल्ला उठा-वह मुसलमान नहीं बनेगा।

'मुसलमान नहीं बनेगा, तो, ले देख!-' यह कहते हुए वे दोनों लड़के, उसे नदी किनारे खींच ले गए।

वहाँ शाम के अँधेरे में, भूत की तरह खड़ी सौ लोगों की भीड़ के सामने, उन दोनों ने दाँव के वार से, सुजीत के टुकड़े-टुकड़े कर डाले। उसे बिल्कुल जान से मार डाला। उस वक़्त सुजीत की कितनी उम्र थी? सतरह या अठारह!

असहनीय तकलीफ़ से मेरी आवाज़ सैंध आई। सुभाष की पीठ थपककर, मैंने जबरन वह तकलीफ़ अपने मन से मिटाने की कोशिश की।

फ़िलहाल वह तकलीफ़ मन में ही दबाए-दबाए मैंने कहा, 'देख, जरा ख्याल रखना। ब्याह के बाद कहीं अपने संगी-साथियों को मत भूल जाना।'

'व्याह? कैसा व्याह? किसका ब्याह?' नादिरा ने कहा, 'उसका कोई व्याह-व्याह नहीं होने जा रहा है! मिनी भाग गई।'

'इतने सालों इश्क करने के बाद?'

'नहीं, वह जितना तो इश्क़ नहीं करता था, उससे ज्यादा वह कल्पना करता था कि वह इश्क करता है।

यानी मुझमें अपना दुःख-तकलीफ़ छिपाने की भला कितनी-सी क्षमता है? सुभाष मुझसे कहीं ज़्यादा छिपा सकता है। सुजीत की मौत कैसे हुई, मेरे सामने इस बात का उसने कभी एक बार भी जिक्र नहीं किया। काकी कैंसर की शिकार हो गई हैं, यह बात उसने कभी नहीं बताई। सुभाष की तरफ़ देखते हुए, मैं मन-ही-मन बुदबुदा उठी-तू यह देश छोड़कर, कहीं नहीं जाना। यहाँ नोतुन काका की यादें बसी हैं, बूड़ी गंगा के पानी में सुजीत का खून घुलामिला है, इतना सब छोड़कर, तू कहाँ भागेगा?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book