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शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास


सेवती मारे उत्तेजना के उछल पड़ी।

'इतने दिनों, यह खुशख़बरी छिपाकर क्यों रखी गई थी, ज़रा मैं भी सुनूँ।'

हारुन ने बताया कि यह ख़ुशख़बरी उसे आज ही मिली है। यह ख़बर उसे धूमधाम से सुनाने के लिए ही दावत दी गई है।

'हारुन भाईजान को बेटा चाहिए या बेटी?' सेवती ने पूछा ‘बस, एक सेहतमन्द सन्तान चाहिए। वह चाहे बेटा हो या बेटी-' हारुन ने जवाब दिया।

सासजी हर किसी को प्लेट में गोश्त परोसे जा रही थीं।

उन्होंने कहा, 'अल्लाह की जो मर्जी होगी, वे देंगे।'

सासजी की बात पर सेवती ने हँसकर कहा, 'देखिए, एम्स जाकर एम्स से मिलेगा या वाई के साथ, यह किसकी मर्जी से होता है, पता नहीं, शायद इसमें किसी की भी मर्जी का दखल नहीं होता।' सेवती ने मेरी तरफ देखते हुए, अपनी बात जारी रखी, 'बचपन में एक बायस्कोप देखने गई। पता है, उस बायस्कोप में दो औरतें, अपनी दोनों बाँहें ऊपर की तरफ़ उठाए खड़ी थीं और छड़ा...यानी दोहे पढ़ती जा रही थीं। उनकी बाँहों के नीचे से बीस लड़कियाँ, एक के बाद एक, लाइन से गुज़रती रहीं। छड़ा की आख़िर पंक्ति था-उसे दूँगी मोतियन माला! बस, उस पल जो लड़की सामने पड़ती, उसे ही वे अपनी दोनों बाँहों में बाँध लेतीं। उसके बाद, वहीं किसी की सहेली बनती थी। यह क्या किसी की मर्जी से होता था? ना! यह तो महज खेल था। यानी खेल के साथी, खेल के दौरान ही चुने जाते हैं।'

पुलाव खाकर मुझे उबकाई आने लगी। मैंने पुलाव-गोश्त छोड़कर, पिछली रात पकाए हुए, परवल के पतले शोरबे में पकाई हुई ईलिश मछली उठाई।

हारुन एकदम से चीख उठा, 'अरे, तुम ईलिश खा रही हो? यह खाने से तुम्हें कितनी एलर्जी होती है, पता है न?'

'कोई बात नहीं, एलर्जी हो, तो हिस्टामिन ले लेना।' सेवती ने कहा, 'तुम्हें हिस्टासिन दिया है न मैंने? बैन्डेज की वजह से हसन के पैरों में खुजली होती है, उसे भी मैंने हिस्टासिन दिया है। रानू के पास पड़ी होगी।

'खाना खाते-खाते भी डॉक्टरी?' अनवर ने सेवती को कोहनी मारी।

खाना खाते-खाते अफ़ज़ल का भी जिक्र छिड़ गया। हारुन ने ही बात छेड़ी।

'आपका एक भाई भी तो आपके साथ रहता था?'

'रहता था नहीं, अभी भी रहता है। मैंने देखा, ढाका में उसका मन नहीं लगता, सो उसे ऑस्ट्रेलिया भेज रहा हूँ। वहाँ वह बहन के पास रहेगा। अरे, ढाका में क्या शिल्पी-कलाकारों की क़द्र होती है। वह तस्वीरें खासी खूबसूरत आँकता है। हो सकता है, विदेश में सुनाम हो जाए।'

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

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