उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
अब उनकी आवाज़ चढ़ गई, 'इसका क्या भरोसा, चोलो, क्या भरोसा है इसका? अपने फूफा को ही लो। वे क्या बुरे मानस हैं? बताओ क्या वे शरीफ़ नहीं हैं?'
'नहीं, मेरा मतलब यह नहीं है। मैं तो यह कहना चाहती हूँ कि हारुन और तरह का मर्द है। वह मुझे बेहद प्यार करता है।'
'प्यार?'
'हाँ, प्यार करता है वह!'
'तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारे फूफा, मुझे प्यार नहीं करते?'
'नहीं, प्यार तो ज़रूर करते हैं, लेकिन...'
'लेकिन, क्या?'
'लेकिन, आपने ही तो कहा कि वे मैना के साथ सोते हैं। अगर वे आपसे प्यार करते, तो ज़रूर ऐसी हरक़त नहीं करते...'
चूँकि कुमुद फूफी ने कोई जवाब देने के लिए मुझे धर दबोचा, इसीलिए लाचार होकर, उन्हें तर्क देकर समझाने के लिए, मैंने जुबान खोली।
लेकिन मेरे ज़वाब ने उनकी बेचैनी और बढ़ा दी। वे झटपट बाथरूम में जा घुसी और सिर पर ठंडा पानी उड़ेलने लगीं।
'क्या बात है? तबीयत खराब लग रही है?' बाथरूम में दरवाजे पर खड़े होकर, मैंने अपराधी लहजे में पूछा।
उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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