उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
'क्या तकलीफ़ है?'
'उल्टियाँ हो रही हैं! उबकाई आती रहती है! सिर चक्कर देता है।'
'माहवारी कब हुई थी?' डॉक्टर ने सवाल किया!
'याद नहीं!'
'याद क्यों नहीं है? सूरत-शक्ल से तो लिखी-पढ़ी लगती हैं। हिसाब नहीं रखतीं?'
'........'
मीठी-सी झिड़की लगाते हुए डॉक्टर ने दुबारा पूछा, 'आपको बच्चे हैं?'
'ना-'
हारुन बीच में ही टपक पड़ा, 'अभी कुल डेढ़ महीने पहले, हमारा विवाह हुआ है।'
‘पहले बग़ल के कमरे में खून और पेशाब की जाँच हो जाने दें, बाद में आपको बुलाया जाएगा।
खून और पेशाब, जाँच के लिए देकर, हमें फिर बाहर के प्रतीक्षालय में इन्तज़ार करना पड़ा। जितनी देर इन्तज़ार में गुज़रे, मेरी छाती धड़कती रही। पता नहीं क्या होगा। मुझे बार-बार पेशाब आने लगा, बार-बार प्यास भी लगने लगी। हारुन उस वक़्त पत्रिका पर झुके-झुके, तेज़ी से गाड़ी की चाबी नचा रहा था। '
डॉक्टर ने दुबारा हमारा नाम पुकारा!
वे कुछ कहें, इससे पहले ही हारुन बोल पड़ा, 'इसकी उल्टियाँ बन्द होने की कोई दवा लिख दें, बस, इसी से सब ठीक हो जाएगा।'
डॉक्टर हँस पड़ी।
'हाँ, हाँ, ज़रूर लिख दूंगी! ज़रूर लिख दूंगी।'
डॉक्टर मुझे उसी कमरे में, पर्दे की आड़ में ले गई और उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरी जाँच करने के बाद उन्होंने आश्वस्त किया, 'सब ठीक है! सब कुछ ठीकठाक है।'
यह सुनकर मैंने राहत की साँस ली!
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