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शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास

14


अगले महीने आखिरकार वह घटना, घट ही गई!

माहवारी का अता-पता नहीं! दो हफ्ते गुज़र गए। सिर चकराना और उल्टियाँ भी शुरू हो गईं! वही पहले की तरह!

मुझे बताना नहीं पड़ा!

सुबह-सुबह मुझे उल्टियाँ करते देखकर, हारुन ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया और आवेग के मारे, थर-थर काँपता रहा।

'क्या बात है? ऐसा क्या हो गया? तुम मुझे यूँ दबोचे हुए न्यों हो?' मैंने हारुन को धकेलकर परे करने की कोशिश की।

'तुम नहीं समझीं? इस बार, ज़रूर तुम्हारे पेट में बच्चा आ गया है।'

'धत्त्! मुझे ऐसा नहीं लग रहा है! कल ज़रूर कुछ अटरम्-शटरम् खा लिया होगा, इसलिए आज उल्टियाँ हो रही हैं।'

'बिल्कुल भी नहीं! इस महीने तुम्हें माहवारी हुई?'

'पता नहीं: मुझे तो याद भी नहीं रहता कि किस महीने क्या हुआ!'

हारुन के होंठों पर मीठी-सी मुस्कान झलक उठी।

उसने मुझे हौले-से चूमते हुए कहा, 'तुम न! निरी बच्ची हो! किसी बात का हिसाब नहीं रख पातीं।'

-काश! काश तुम मेरी तरह अगर हिसाब-किताब रख पाते!

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

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