उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
मैं गट्गट नीचे उतर गई। ना, उस दिन मुझे इधर-उधर चौकन्नी निग़ाह नहीं डालनी पड़ी। और-और दिन मेरी छाती, यह सोच-सोचकर, घबराहट से काँपती रही थी कि पता नहीं, क्या होगा लेकिन आज मैं इत्मीनान से ख़ुश-खुश नीचे उतर गई। आज अगर हारुन भी फोन करके, मेरी ख़ोज़-खबर ले तो सासजी उससे भी कह देंगी कि उन्होंने खुद मुझे नीचे, सेवती के पास भेजा है। आज सेवती, अगर यह भी कहे कि रात को झूमुर को इस घर में ही रहने दिया जाए, तो कोई इन्कार नहीं करेगा। हारुन के पूरे खानदान में कोई डॉक्टर नहीं है। जो सब डॉक्टर दोस्त हैं भी, उनमें से कोई भी ढाका के किसी अस्पताल में नहीं है। इसलिए सेवती ही आसरा-भरोसा थी! सेवती ही माँ-बाप!
सेवती के कमरे में असबाब-पत्तर के ढेर लगे हुए! अनवर कुमिल्ला में एन जी ओ की शाखा खोलने वाला था, इसलिए वह कुमिल्ला में व्यस्त था। अफ़ज़ल यह ख़ोज़-खबर लेने के लिए विभिन्न दूतावासों के चक्कर लगाता फिर रहा था कि कहीं कोई छात्रवृत्ति मिल सकती है या नहीं।
सेवती ने कहा, 'अपने इस देवर के बारे में, मेरी जान हलकान है, समझीं? दिन-दिन-भर नंग-धडंग औरतों की तस्वीरें आँकता है। घर में कोई मेहमान आ जाता है, तो मैं शर्म से गड़ जाती हूँ।'
बरामदे में पड़ी, अफ़ज़ल की आँकी हुई तस्वीरों को वह तेज़-तेज़ हाथों से हटाती रही। वह किसी नंगी औरत की नई तस्वीर है। यह औरत कौन है?
पीठ पर लहराते हुए काले-काले लम्बे बाल! दरिया में उमड़ते पानी की तरह काली-काली युगल आँखें सुडौल वक्ष-यह शर्म से आरक्त चेहरा किसका है? कहीं मेरा तो नहीं? मारे उत्कण्ठा के, मेरे गला सूख आया।
सेवती के साथ-साथ मैं भी घर की सजावट में हाथ बँटाने लगी। छोटी मेज़ कहाँ रखी जाए, कहाँ बड़ी मेज़; कहाँ फूलदान! बरामदे में पड़ी बेंत की कुर्सियाँ और कहीं रखी गईं! फूलों के गमले कहाँ रखे जाएँ कि वे खूबसूरत लगें, सलाह-मशविरा करके, उसे भी यथास्थान सजा दिया गया। ये सब काम निपटाते हुए, हमारी बातचीत भी जारी रही।
अपनी गम्भीर व्यक्तिगत बातें बताते हुए सेवती ने बताया कि अनवर उसे सेक्स-सुख नहीं दे पाता। उन लोगों ने प्यार करके विवाह किया था। काफ़ी कुछ माँ-बाप की मर्जी के खिलाफ़! उसके माँ-बाप चाहते थे कि सेवती, अपनी तरह के किसी डॉक्टर से विवाह करे। लेकिन सेवती ने अपने प्यार की कीमत चुकाई। अनवर भरपूर मर्द है, सुदर्शन और मिलनसार शख्स! डॉक्टर सेवती जितने रुपए कमाती है, अनवर उससे कम नहीं कमाता। तो फिर वह अनवर को लौटा क्यों देती है? ब्याह के बाद, पहली ही रात सेवती को पता चला वह नामर्द शख़्स है! सेवती अपने पति को सेक्स-रोग के डॉक्टर के पास ले गई। यहाँ तक कि उसे मनोचिकित्सक को भी दिखाया। किसी भी कोशिश का कोई नतीजा नहीं निकला।
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