उपन्यास >> शोध शोधतसलीमा नसरीन
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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास
सेवती का पति, अनवर, दो महीने जर्मनी में रहा। वहाँ वह अपना खाना खुद पकाता था। अनवर को खाना पकाना अच्छा भी लगता है। मेरा बेहद मन होता है कि हारुन के साथ, कहीं अलग दुनिया बसाऊँ। हारुन का अपना कारोबार है, मैं भी नौकरी कर लूँगी। दोनों प्राणी मिलकर गृहस्थी का कामकाज़ भी निपटाएँगे। उस गृहस्थी में अकेली मैं ही काम नहीं करूँगी, वह भी हाथ बटाएगा। मुझे ही क्या हर वक़्त रसोई में घुसे रहना या खाना पकाना अच्छा लगता है भला? कभी-कभी मेरा भी लेटे रहने का मन करता है। मेरा मन होता है, जैसे मैं खाना पकाकर, हारुन को खाने के लिए आवाज़ दूं, कभी हारुन भी मेरे लिए खाना बनाए और मुझे खाने के लिए आवाज़ दे, जैसे अनवर, सेवती को बुलाता है! अनवर के खाना पकाने की बात, मैंने हारुन को भी बताई थी।
मेरी बात सुनकर, उसने मन्तव्य दिया, 'वह कमबख्त सिर से पाँव तक औरत है! उसमें पौरुष नाम की कोई चीज़ नहीं है।'
मैं सोचती रही, खाना न पकाना ही क्या पौरुष की निशानी है? खाना पकाने से पौरुष में बट्टा लग जाता है?
बहरहाल, अनवर मुझे हारुन से कम दीप्त मर्द नहीं लगा।
'अपनी सहेली के पति से कहो वह हाथों में चूड़ियाँ पहनकर, घर में बैठा रहे-' हारुन ने अनवर के बारे में दूसरा मन्तव्य किया।
मैं उसका मन्तव्य सुनकर हँस पड़ी। हाँ, मुझे यह समझ में नहीं आया कि चूड़ी पहनने की बात उसने मज़ाक-मज़ाक में कहा है या वाक़ई वह यही सोचता है।
सेवती मुझे बेहद अपनी लगती है। पति या सास-ससुर या देवर-ननद के बजाए, एक अजनबी पड़ोसी, मेरी प्रिय बन गई थी। हारुन को इस बात की खबर नहीं है कि आजकल जो बातें मैं उससे नहीं करती, वह सेवती से करती हूँ। इस गृहस्थी में मुझे बेहद अकेलापन लगता है, हारुन भी काफ़ी दूर का शख्स लगता है-ये तमाम बातें मैं सेवती को ही बताती हूँ। सेवती ने मेरी दोनों हथेलियाँ अपने हाथों में लेकर मुझे आश्वासन दिया है कि मेरे सुख-दुःख में हर तरह से वह मेरे साथ है। ब्याह के बाद, अपने माँ-बाप, बहन को तो न चाहते हुए भी मुझे अपने से दूर करना पड़ा! आरजू, सुभाष, नादिरा और चन्दना जैसे प्यारे दोस्तों को अपने से अलग करना पड़ा। सेवती अगर डॉक्टर न होती, अगर वह मेरे घर के रोग-बीमारी में यूँ खड़ी न होती, तो हारुन भी शायद उससे मेरा मिलना-जुलना पसन्द नहीं करता। हसन के साथ हुई दुर्घटना के बाद, इस घर के लोगों ने उसकी ज़रूरत हाड़-हाड़ में महसूस किया। हसन अपने किसी दोस्त की मोटर साईकिल चलाकर साभार जा रहा था, सड़क पर ट्रक से टक्कर हो गई। मोटर साईकिल से छिटककर वह लुढ़कते-लुढ़कते सीधे खाई में जा गिरा। पैर और पसली की हड्डियाँ चूर-चूर! सेवती ने ही हसन को अस्पताल में भर्ती कराया। अपने डॉक्टर दोस्तों से उसका ऑपरेशन कराया। उसके सेवा-जतन, इलाज में कहीं कोई कमी नहीं थी।
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