उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
"और इससे विवाह करोगे?''
''यदि माता जी मान गयीं तो विवाह होगा। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि वह मान जायेंगी।"
"नहीं मानेंगी।"
''क्यों?''
''वह अति कुरूप है।"
''सत्य? सूरदास विचार कर रहा था। फिर एकाएक बोला, "नहीं। यह सत्य नहीं है। प्रियवदना, तुम ईर्ष्यावश कह रही हो।"
"मैं बूआ से कहने वाली हूं कि तुम्हारी आंखों का आपरेशन करवा दिया जाये, जिससे तुम देख सको कि किसके मोह में फंस गये हो।"
"तो अब मैं आपरेशन से मरूंगा नहीं? कल ही तो तुम कह रही थीं कि डाक्टर का पत्र आया है कि दस प्रतिशत आशा है आंखों के ठीक होने की और बीस प्रतिशत आशा है मेरे आपरेशन से सही सलामत उठ सकने की। अर्थात् अस्सी प्रतिशत आशा है मरने की।"
"हां। मैंने वह पत्र अभी बूआ को नहीं दिखाया। अब नहीं दिखाऊंगी। मैं अब यह विचार कर रही हूं कि अन्धे को अन्धकार में नहीं कूदने देना चाहिये।"
''ठीक है। परन्तु बहन, मैं अन्धा नहीं हूँ। मैं भी देखता हूं। कदाचित् अनेक आंखों वालों से अधिक देखता हूं। एक इस लड़की के भाई हैं। मैँने उनको कहा था कि भारत की संसद तो अन्धा कुआं है और वह उसमें कूद रहे हैं। वह नहीं माने। कूद पड़े और मैं समझता हूं कि अब अन्धकार में फंस टटोलते हुए मार्ग नहीं पा रहे।"
''नहीं राम जी! मैं चाहती हूं कि डाक्टर से आपरेशन की तिथि निश्चय कर वहां जाने की तैयारी कर देनी चाहिये।"
''अच्छी बात हैं। करो प्रबन्ध। तनिक, मैं भी देखूं कि तुम आंखों वाले क्या क्या देखते हो?"
सूरदास मुस्करा रहा था। प्रियवदना आवेश मे उठ कमरे से
निकल गयी। जब गयी तो मृदुला ने अपने मन की बात कह दी, ''भैया राम! आपरेशन के लिये मत जाना और यदि गये तो बहन प्रियवदना को साथ मत ले जाना।"
"किसलिये ?''
''यह ईर्ष्या से जल रही है और कुछ भी अनिष्ट कर सकती है।"
"चिन्ता न करो बहन! बिना उस प्रफु की इच्छा के कोई किसी का भला अथवा बुरा नही कर सकता।"
''परन्तु लोग करते तो हैँ?''
''हां, वास्तव में, वे अपना ही भला अथवा बुरा करते हैं। दूसरे की हानि-लाभ तो बिना उसकी रज़ामन्दी के कर नहीं सकते।''
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- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :