उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
: 7 :
रात भर सेठजी विचार करते रहे कि कमला को सूरदास के मिलने की सूचना दें अथवा न। उनका विचार था कि सूरदास चाहता है कि कमला का विवाह हो जाये तब ही वह बदायूं जायेगा। कमला विवाह सूरदास से करने का निश्चय कर चुकी है। परन्तु सूरदास के लापता हो जाने के उपरान्त उसके विवाह की चर्चा नहीं हुई। क्या यह अच्छा नहीं होगा कि एक बार पुन: यत्न किया जाये? यद्यपि कमला के मानने की आशा कम थी, परन्तु क्या जाने किस समय क्या हो जाये?
इस विचार का अर्थ वह यह समझा था कि सूरदास के मिल जाने की सूचना अभी न दी जाये और रात दो बार बदायूं टेलीफ़ोन करता करता वह रुका, परन्तु प्रात: पूजा करते-करते उसके मन में विचार आया कि वह तो अपने घर वालों से ही छलना खेल रहा है। उसका क्या अधिकार है कि वह अपनी सज्ञान लड़की से किसी प्रकार की सूचना रोक रखे। उसे चिन्तन करते-करते यह समझ आया कि यह चोरी हो जायेगी। जैसे किसी की खोयी वस्तु मिल जाये, और उसे न सूचित करना चोरी है, वैसे ही यह सूचना कमला से छुपाकर रखना चोरी है। यह महापाप है। अत: पूजा से उठते ही उसने टेलीफ़ोन से बदायूं के लिए "टूंककॉल'' बुक करा दिया।
बदायूं से सम्पर्क दस बजे के कुछ ही पहले बन सका और उसने कमला को बम्बई ही बुला लिया।
वह अभी ट्रककाल पूरी ही कर पाया था कि उसे "बुमैन'स कार्नर' से टेलीफोन आया। टेलीफ़ोन करने वाली तारकेश्वरी थी। उसने बताया, "यदि आप मध्याह्न का भोजन हमारे यहां करने की कृपा करें तो राम के विषय में आगे विचार किया जा सकता है।''
सेठजी ने भोजन के समय वहां जाना स्वीकार कर लिया। ठीक एक बजे वह तारकेश्वरी की दुकान पर पहुँच गये। मध्याह्न पूर्व के समय तारकेश्वरी दुकान पर बैठती थी। एक बजे से तीन बजे तक दुकान मध्याह्न के अवकाश के लिए बन्द रहती थी। अत: तारकेश्वरी दुकान बन्द कर दुकान से निकली ही थी कि सेठजी की गाड़ी दुकान के बाहर आ खड़ी हुई। सेठजो ने गाड़ी से उतरते हुए कहा, "मैं तो इससे पहले ही आने वाला था, परन्तु जब आपका निमन्त्रण मिला तो मैं समझा कि आप पहले नहीं मिलना चाहतीं।"
''नहीं सेठजी। यह बात नहीं। इस समय हमारे पास विचार करने के 'लिये दो घन्टे होंगे और हम निश्चिन्त हो विचार कर सकेंगे। अत: मैंने इस समय बातचीत करनी उचित समझी है।"
दोनों लिफ्ट से ऊपर पहुंचे तो तारकेश्वरी ने मृदुला को कह दिया, "खाना परस दिया जाये।"
जब सेठजी खाने के कमरे में गये तो सूरदास के अतिरिक्त धनवती और प्रियवदना सूरदास के आस-पास बैठी थीं। सेठजी विचार करने लगे कि यह लड़की भी सूरदास से विवाह की प्रत्याशी हो सकती है। वह प्रियवदना की रूप-राशि की तुलना कमला से करने लगे। उन्हें एक बात समझ आयी कि यदि राम की आंखें बन जायें तो कमला अपो मन की इच्छा पूरी करने में सफल नहीं हो सकेगी। यह लड़की उससे बाजी ले जायेगी।
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- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :