उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
''तब तो ठीक है, परन्तु पहले उसके लिए मकान ले लूं। सरकारी क्वार्टर तो सुना है कि छोटे-छोटे हैं। वहां ठीक नहीं रहेगा।"
सूरदास के विषय में तो उनको अगले दिन प्रातःकाल ही पता चला। नित्य के प्रतिकूल उस दिन हवेली में संगीत की ध्वनि नहीं उठी तो प्रकाशचन्द्र को कुछ विलक्षण लगा। उसने श्रीमती से कहा, "आव नीचे से संगीत की ध्वनि सुनायी नहीं दे रही।"
"आचार्य जी नहीं आये होंगे।"
''वह तो पहले भी कई बार नहीं आया करते। सूरदास अब स्वतन्त्र अम्यास किया करता है।"
''कुछ बीमार होगा।"
''पता करता हूँ।''
श्रीमती विचार करने लगी। प्रकाशचन्द्र दर्पण के सामने बैल हजामत बना रहा था। हजामत बनानी समाप्त हुई तो तौलिये से दूँफ पोंछ वह कमरे से बाहर निकल गया। हवेलीमें मुर्दनी छायी हुई प्रतीत
हुई। प्रकाश सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था। सेठजी ऊपर आ रहे थे। प्रकाशचन्द्र ने उनके मुख पर भी चिन्ता और उदासी देखी तो पूछ लिया, "पिताजी। किधर से आ रहे हैं?"
''तो तुमको पता नहीं चला?''
''किस बात का पता नही चला?''
"सूरदास घर छोड़ गया है।"
''यह तो होना ही था। कमला कहां है?''
''अपने कमरे में होगी। मैं तो मोटर में उसे कासगंज की सड़क पर देखने गया था। रात रेल के स्टेशन पर भी गया था। प्रात: बस के अड्डे पर गया। जब वहाँ भी नहीं मित्रा तो समझा कि कहीं पैदल ही न चल पड़ा हो, सड़क-सड़क देखने चला गया था।"
"वह अकेला तो जा नहीं सकता। साथ किसको ले गया है?''
''सुन्दरदास गया है।''
"शुक्र है।"
''क्या शुक्र है?"
"कमला नही गयी?''
''वह क्यों जाती।"
"उसके प्रेम जाल में जो फंसी हुई है।"
''हाँ, परन्तु......।" सेठजी कहने वाले थे कि वह तो नहीं गयी; फिर मन में किसी प्रकार का सन्देह कर बोले, "पता करता हूँ।"
सेठजी ऊपर चढ़ने लगे तो प्रकाशचन्द्र भी लौट पड़ा। उसने नीचे जाने में कोई तथ्य नहीं समझा। वह पिताजी के पीछे कमला के कमरे की ओर चल पड़ा।
कमला शीलवती से 'ईशावास्योपनिषद्' पढ़ रही थी। शीलवती उसे इस उपनिषद् के सातवें मन्त्र के विषय मैं समझा रही थी। वह कह रही थी-
''यस्मिन्-जिसमें; सर्वाणि-सब; भूतानि-प्राणी; आत्मैव- एक रस हो गये; विजानात: -ज्ञानी पुरुष।
इसका अभिप्राय है कि जब ज्ञानी को परमात्मा में सब प्राणी एक रस दिखायी देने लगते हैं। तत्-सबमें; एकत्वम्-एकमयता अनुपश्यत -देखने वाले को; को मोह: क: शोक-कहा मोह और कहां शोक हो सकता है?"
"यह क्यों?" कमला का प्रश्न था।
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- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :