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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

"और वह कहा जाना चाहेंगे?"

"यह मैं अभी नहीं बता सकता। एक दो स्थान हैं, जहां मैं जाऊंगा। परन्तु कौन मुझे रखना चाहेगा, यह मैं जानता नहीं। इस कारण मैं अभी बता नहीं सकता। इतना मैं जानता हूँ कि एक सप्ताह की सुन्दरदास को छुट्टी दे दी जाये औंर इतने समय में राम का कहीं ठिकाना बन जायेगा।

मुंशीजी ने उठते हुए कहा, "मैं सेठजी से सम्मति कर आपसे

फिर मिलूँगा।"

जब मुँशीवी कमरे सै निकल गये तो शील-वती ने कहा, "राम भैया।"

"हां बहन।''

"मैं आपके लिये कमला बहन का सन्देश लेकर आयी थी, परन्तु वह सन्देश तो अब निरर्थक हो गया है। इस कारण उसको दिये बिना ही यही से जा रही हूं। कमला बहन को यह नयी परिस्थिति बता देती हूं। उसकी इस पर प्रतिक्रिया जान कर आऊंगी।"

"तो तुम भी मेरे जाने के विषय मैं कुछ कहने आयी थी?"

"नहीं भैया! मैं तुम्हारे यहां रहने के विषय में कहने आयी थी।"

"वह तो अब सम्भव प्रतीत नहीं होता।"

शीलवती ने उठते हुए कहा, "मैं फिर मिलूँगी।" और वह कमरे से निकल गयी।

शीलवती गयी तो सुन्दरदास आ गया। सुन्दरदास ने सूरदास के समीप बैठते हुए कहा, "भैया!"

''हौ, सुन्दर! क्या बात है?''

"भैया! सब नौकर-चाकर कह रहे हैं कि हवेली के बाहर नया मकान-बनकर तैयार हो गया है और उस मकान में प्रवेश संस्कार पर आप और मैं उस मकान में जाकर रहने लगेगे।"

"हां, सुन्दरदास! अब मैं नये मकान में जा रहा हूँ, परन्तु कदाचित् तुम वहां नहीं जा सकोगे।"

''क्यों?''

"इस क्यों का उत्तर मैं नहीं जानता। तुम्हारा मेरा संयोग इतना ही प्रतीत होता है।"

सुन्दरदास इसका अर्थ नहीं समझ सका। कमला बहन की आज्ञा मिल चुकी थी कि नये मकान में सुन्दरदास किस कमरे में अपने परिवार सहित रह सकेगा। एक पृथक सेवक मकान की सफाई इत्यादि के लिये भी नियुक्त हो चुका था। सुन्दरदास ने यह समझ कि सूरदास उसकी सेवा से असन्तुष्ट हो उसके स्थान पर किसी अन्य को रखना चाहता है इस कारण उसने कह दिया, "भैया! मुझसे नाराज़ हो क्या?"

''नहीं, सुन्दरदास में तुम्हारी सेवा से सर्वथा सन्तुष्ट हूं, परन्तु तुम जानते हो कि तुम सेठजी के अधीन हो। वही तुमको तुम्हारा वेतन इत्यादि देते है।"

"तो सेठजी से बात करूगा।"

"हां।"

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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