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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

सूरदास ने कह दिया, "मुझे इसमें क्या आपत्ति है! मैं जबसे सेठजी की छत्रछाया में आया हूं, राम कथा करता रहता हूँ। निर्वाचन तो अब आये हैं। मैं वही करूंगा जो पहले किया करता था।"

इस पर सूरदास निर्वाचन कार्य से पृथक हो गया और पुन: प्रति सायंकाल हवेली के पिछवाड़े में कथा-कीर्तन होने लगा। इस पर भी सूरदास के ओजस्वी भाषणों का प्रभाव अभी था और निर्वाचन में केवल एक सप्ताह रह गया था।

'कांग्रेस के नेता मिस्टर शर्मा का और श्री पण्डित नेहरू का प्रभाव बदायूं में तो हुआ, परन्तु बाहर देहातों में तो प्रकाशचन्द्र कीराम भक्त होने की धूम रही।

निर्वाचन हुए और निर्वाचन फल घोषित हो गया। प्रकाशचन्द्र अपने प्रतिद्वन्दी से केवल दस सहस्त्र मतों से विजयी हुआ। जिन क्षेत्रों में प्रकाशचन्द्र की राम कथा की धूम थी, वहां उसे अधिक मत प्राप्त हुए, परन्तु बदायूं के क्षेत्र में प्रजा सोशलिस्ट दल के प्रत्याशी को अधिक मत मिले। इस पर भी पूर्ण क्षेत्र से वह दस सहस्र से अधिक मतों से निर्वाचित घोषित हो गया।

उसके निर्वाचित हो जाने के उपलक्ष में हर स्थान पर चाय-पार्टियाँ और सभायें होने लगीं और उनमें सूरदास को ले जाना उचित नहीं समझा गया। सेठजी ने ऐसे समारोहों में जाने की रुचि प्रकट नहीं की।

निर्वाचन कार्य मे प्रकाशचन्द्र तीन मास तक लगा रहा। इस काल में कमला सेठजी का मुख्य कार्यालय का कार्य करती रही और सेठजी अपने व्यापार की देखभाल के लिए बाहर घूमते रहे। 

इन तीन महीनों में सूरदास के लिए हवेली के सामने एक भवन बनना आरम्भ हो गया था। आरम्भ में तो उस स्थान पर एक छोटा सा मकान बनवाने का विचार था, परन्तु कमला ने मकान का एक नया नक्शा नगरपालिका से पाम करवाया। इसमें उसने एक बड़ा कथा कीर्तन के लिए 'हॉल' रखा। उस हॉल के साथ एक पुस्तकालय और पस्तकालय के अध्यक्ष के लिए रहने को स्थान था। सूरदास के लिये ऊपर की मन्जिल पर पाँच कमरे थे। साथ ही सुन्दरदास के रहने का प्रबन्ध था।

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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