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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

"क्यों?''

''मैं ज्योतिषी तो नहीं, परन्तु मैं अपना अनुमान बताता हूँ कि कमला और सूरदास का विवाह होगा। आप इच्छा से नहीं करेंगे तो वे स्वयं कर लेंगे।''

''तुम इस विषय पर क्या जानते हो?"

"मैं सूरदास को जानता हूं। वह चुम्बक है और हम सब लोह कण है। आप सूरदास का तिरस्कार नहीं कर सकते। मैं भी उसको

बहुत पसन्द करता हूं और उससे बातें-करने मैं आनन्द अनुभव करता हूँ। इसी प्रकार सब के सब प्राणी उससे प्रेम करते हैं। कमला के मन में.....''

वह कहता-कहता रुक गया। कमला और शीलवती वहां आ गयीं। शीलवती ने कमला को वहा छोड़ अपने कमरे को जाने की स्वीकृति मांगी। चन्द्रावती ने पूछ लिया, "आज मास्टरजी स्कूल नहीं गये क्या?''

''माताजी, आज रविवार है। वह अल्पाहार के लिए मेरी प्रतीक्षा करते होगे।"

''अच्छा अल्पाहार लेकर मुझे मिलना।"

शीलवती चली गयी तो कमला एक कुर्सी पर बैठ अल्पाहार लेने लगी अल्पाहार के उपद्यन्त प्रकाशचन्द्र ने अपने पिता को कहा, "मैं मुरादाबाद अपने एक मित्र से मिलने जा रहा हूँ।''

''कब तक लौटोगे?"

''परसों अथवा चौथे दिन लौटूंगा। तब तक स्थानीय कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी मेरे समर्थन में प्रस्ताव पासकर राज्य कांग्रेस कमेटी के मन्त्री के पास भेज देगी और मैं समझता हूँ कि सब काम ठीक होगा।"

"मैं तुम्हारे निर्वाचन के विषय में नहीं विचार कर रहा। मैं अपने कारोबार के विषय में चिचार कर रहा हूँ।"

''आपको अब तीन-चार मास तक तो कष्ट करना पड़ेगा।"

''पर मैं दो स्थानों पर हो नहीं सकता। यहां किसी व्यक्ति का रहना आवश्यक है और फिर जब भी किसी बाहर की शाखा में जाने की आवश्यकता हो तो कौन जायेगा?"

''परन्तु अब तो मैंने निर्वाचन सागर में छलांग लगा दी है। यहां आपको किसी प्रकार का प्रबन्ध कर लेना चाहिये।"

''इसी कारण तो भागीरथ को तार करें दिया गया है। यदि उसमें कुछ भी बुद्धि होगी तो उसे कल आ जाना चाहिये।''

''परन्तु वह व्यापार में पड़ना पसन्द नहीं करेगा।"

''यही तो कह रहा हूँ कि तुम्हारे पीछे काम कैसे चलेगा और यदि तुम निर्वाचित हो गये तो फिर पाँच वर्ष तक कठिनाई उपस्थित होगी।''

अब एकाएक कमला ने कह दिया, "एक सुझाव मेरी अध्यापिका बहन ने भी दिया था।"

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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