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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

''और वह मुझसे मिलकर भी नहीं गयी?''

उत्तर चन्द्रावती ने दिया,"वह आयी तो अपनी मोटर गाड़ी में थी, परन्तु गाड़ी उसने कमला को दिल्ली ले जाने के लिये दे दी है और स्वयं बारह बजे की रेलगाड़ी से चली गई हैं।"

''दो बजे की बस से जाती तब भी गाड़ी के साथ पहुँच जाती।" श्रीमती ने सुझाव दिया था, ''परन्तु उसने बताया है कि बस में उसे उलटी हो जाती है। अतः वह रेलगाडी के समय से पहले ही चली गयी है।"

भोजन करते हुए प्रकाश ने मां को कहा, "मैं अभी बरेली जा रहा हूं और वहां से दिल्ली जाऊँगा। वहाँ से तब ही लौटूँगा जब पिताजी बदायूं आ जायेंगे।

"कैसे जा रहे हो? डेढ़ बज चुका है और गाड़ी दो बजे छूट जाती है।"

"मैं अपनी मोटरगाड़ी से जा रहा हूं। दिल्ली में मुझे एक क्वार्टर मिला हुआ है और मैं अब वहां ही रहूंगा।"

''पर तुम्हारी मोटर तो बिगड़ी हुई थी?''

''वह कमला को टालने के लिए था। सूरदास के कमरे से मेरी गाड़ी अधिक मूल्यवान है।"

''ओह। तो यह बात है। मतलब यह कि तुम घर वालों से नाराज हो गए हो?''

"प्रकाश! देखो तुमको जब यह पता चल गया था कि कमला राम से प्रेम करती है तो तुमने सूरदास का अपमान कर बहन का विरोध किया था।

"तुमने कमला के कार्यालय में काम करने को न पसन्द कर पुन: कमला का विरोध किया था।

''तुमने राम कथा की निन्दा करनी आरम्भ कर दी है। तुम्हारे निर्वाचित होने के उपलक्ष में जो दावतें और जलसे हुए थे, तुमने उनमें राम और कृष्ण की तथा हिन्दू और हिन्दुस्तान की निन्दा की थी। तुम्हारा यह व्यवहार घर में किसी को भी पसन्व नहीं था। तुमने घर वालों से चोरी-चोरी एक लड़की का अपहरण किया और उससे पुत्र भी उत्पन्न कर दिया। इस बात को भला घर मे कौन पसन्द करेगा? 

"अब तुमने बहन को कष्ट पहुँचाने के लिए झूठ बोल दिया था कि तुम्हारी मोटरगाडी बिगड़ी हुई है।

''ये सब बातें अन्त मैं तुम्हें ही कष्ट देंगी।''

''वह तो माँ, देख लूंगा। अभी तो मैं पिताजी से यह बात करना चाहता हूँ कि मुझे जीवनयापन के लिए क्या दे रहे हैं?"

''तुम्हें मासिक वेतन मिलता तो है।"

"वह पर्याप्त नही है।"

''तो अपने पिताबी से बात कर लो।"

''यर्हा तो कह रहा हूं।"

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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