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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

इस पर श्री नेहरूजी ने घड़ी में समय देखा और उठ खड़े हुए और ज्योतिस्वरूप से हाथ मिला बोले, "हमें 'पटीशन' के परिणामों से अवगत रखना और अपने क्षेत्र में एक दो सभायें कर लो, जिससे जनता को पता चल जाये कि आप अब कांग्रेस में सम्मिलित' हो गये हैं।''

प्रकाशचन्द्र ने भी हाथ मिलाने के लिए बढ़ाया तो पण्डितजी ने हाथ जोड़ दिये और कहा, "अभी तो आप आगामी सूत्र में आयेंगे। पटीशन के निर्णय में कुछ देर लगेगी।"

''यदि आशा हो तो इसका निर्णय शीघ्र भी हो सकता है?''

"कैसे?"

''मैं पहली ही पेशी में अपने को "गिल्टी' (अपराधी) घोषित कर देता हूं और पर्टाशन सफल हो जायेगी और ज्योतिस्वरूप जी को शीघ्र ही यहां आने का अवसर मिल जायेगा।''

''नहीं, इतनी जल्दी नहीं।" प्रधानमंत्री ने कह दिया, "आप मुकद्दमा लड़िये।"

पण्डितजी अपने कमरे की ओर चले गये और प्रकाशचन्द्र तथा ज्योतिस्वरूप बाहर आये तो प्रकाशचन्द्र को शिवर्लेट गाड़ी बाहर खड़ी थी। ज्योतिस्वरूप टैक्सी में आया था और टैक्सी भी खड़ी थी।

प्रकाशचन्द्र ने ज्योतिस्वरूप को टैक्सी छोड़ने के लिए कह दिया, "मैं आपको जहां कहें, छोड़ आऊंगा।"

ज्योतिस्वरूप प्रकाशचन्द्र की शिकायत सुनना नहीं चाहता था। वह भूमि की ओर देखते हुए बोला, "टैक्सी को भाड़ा तो देना ही पड़ेगा।"

"तो वह भी गैं दे देता हूं।"

''नहीं, आपका पहले भी बहुत व्यय कराया है।"

''और अब और अधिक कराने का प्रबन्ध कर दिया है।"

''नहीं, प्रकाश बाबू! यह पटीशन मैंने नही करायी। मैं तो ऐसे ही पता पा गया हूं। पटीशन करने वाला सरकारी नौकर है और मैं समझता हूं कि इसमें बदायूं की कांग्रेस कमेटी के मंत्री सम्मिलित हैं। कदाचित् वह प्रमुरख हों।"

"लोक सभा की सदस्यता में अब मेरी रुचि नहीं रही।"

''बाबू साहब! यह आप व्यापारियों का काम भी नहीं। आपको अपना ध्यान रुपया कमाने में लगाना चाहिए।''

"ठीक है। अच्छा आप चले'। मैं तो तनिक पालम छावनी पर जा रहा हूं। एक साहब से मिलना है।"

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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