अनुराधा प्रकाशन की पुस्तकें :
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प्रत्यंचाकामिनी कामायनी
मूल्य: $ 12.95 ‘संग्रह’ में हर प्रकार के विमर्श की कविताएं हैं। कह सकते हैं कि आज के भौतिकवादी जीवन का धुला पुछा साफ–सुथरा आईना है यह ‘संग्रह’। आगे... |
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बेग योर पॉरडनअनन्त जोशी
मूल्य: $ 12.95 कोयला खानों में काम करने वाले मजदूरों के जीवन पर आधारित उपन्यास आगे... |
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भटके मेरा मन बंजाराबिमला रावर सक्सेना
मूल्य: $ 11.95 प्रस्तुत पुस्तक में कविताओं में जीवन की दशों–दिशाओं का और मनोभावों का सरल और ग्राह्य शब्दांकन आप तक पहुँच रहा है। आगे... |
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भारत एक और परिवर्तनपंडित ओम
मूल्य: $ 18.95 गोया संविधान के प्रारम्भ में ‘प्रस्तावना’ में ही ये लिखा जरूर गया – ‘‘हम भारत के लोग - इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित, आत्मार्पित करते हैं।’’ आगे... |
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भ्रष्टाचारनरेन्द्र
मूल्य: $ 10.95 सत्ता की भूख और पैसे की प्यास समानुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के तरीकों से मिटाई-बुझाई जाती है। स्वार्थ की अति से क्रमशः समाज में दुराचार, व्यापार में लालची लाभ व सरकार में निन्दनीय भ्रष्टाचार पैदा होता है। आगे... |
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मंज़र गवाह हैंयशपाल सिंह
मूल्य: $ 10.95 जीवन के विभिन्न पहलुओं को अपनी ग़ज़लों के माध्यम से दर्शाया है जिसमें रिश्ते की गहराई भी है और महंगाई, राजनीति का दर्शन है। आगे... |
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मत थको विहगआशा सहाय
मूल्य: $ 12.95 80 कविताओं का यह संग्रह विविधता से परिपूर्ण है – ‘मत थको विहग’ शीर्षक ही ‘मन की तेरी यह अल्प थकन’ की ओर संकेत करके जैसे उसके पंखों को हल्के से सहला देती है। आगे... |
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मन की गीतामहेश चन्द्र सिंह अधिकारी
मूल्य: $ 3.95 भगवान श्रीकृष्ण ने हनुमान जी से पूछा कि हे कपि श्रेष्ठ क्या तुमने भी गीता सुनी ? तब कपि श्रेष्ठ ने आनन्द मग्न हो उत्तर दिया कि - हे प्रभो ! भेद खुलने के संदेह से मैं नीचे नहीं आया। तब भगवान कृष्ण ने हनुमान जी को आदेश दिया कि तुम अब मन की गीता बनाओ। आगे... |
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मन की बातसुधीर सिंह
मूल्य: $ 9.95 समाज में जो कटु सत्य मैंने देखा, सुना, परखा और अनुभव कियाय उसे ही कविता के रूप में अपने परिमित ज्ञान की परिधि में रखते हुए यथासंभव उजागर करने का प्रयास किया। आगे... |
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मन भ्रमणसोनाली सिंघल
मूल्य: $ 9.95 सरल भाषा से भरी इन कविताओं में केवल मन की आवाज़ छुपी है वो आवाज़ जो मैं अपने आसपास महसूस करती हूँ। आगे... |