अनुराधा प्रकाशन की पुस्तकें :
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यंगिस्तान के नौनिहालनीरज कुमार त्रिपाठी
मूल्य: Rs. 150 एक लेखक के तौर पर समाज के हर कोने में झाँकने की आदत ने मुझे कुछ अनजाने से पहलुओं को उकेरने में भारी योगदान दिया है। इस किताब में मैंने नौजवानों के एक बड़े समूह का चित्र खींचने का प्रयास किया है। आगे... |
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रजनी गंधाशबनम शंकर
मूल्य: Rs. 120 यथार्थ से अनुभव लेकर उनको कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया है। आगे... |
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वापसीदिनेश मिश्रा
मूल्य: Rs. 200 यह उपन्यास प्रेम कहानी पर आधारित है। जिसमें नायिका नायक को बहुत कठिनाइयों के उपरांत प्राप्त करती है। जीवन मूल्यों एवं राष्ट्रीय मूल्यों को पात्रों एवं घटनाओं के माधयम से प्रदर्शित किया है। आगे... |
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श्री अक्षरगीता महिमा वैभववीरेन्द्र शर्मा
मूल्य: Rs. 60 गीता के प्रथम पाँच अध्याय पंचानन भगवान महेश्वर के पाँच मुख हैं। आगे के दस अध्याय उनकी दस भुजाएँ हैं। सोलहवाँ अध्याय उनका उदर है। सत्तरहवें व अट्ठारहवें अध्याय उनके दोनों चरण है। आगे... |
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श्री राम विवाहगिरीन्द्र मोहन झा
मूल्य: Rs. 150 श्रीराम विवाह – पावन परिणय ग्रंथ सहज संक्षिप्त काव्यमय गागर में समृद्ध सुन्दर भावमय सागर है। आगे... |
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सच्चा प्यार क्या हैजुयाल सुबोध
मूल्य: Rs. 200 प्रेम पर आधारित उपन्यास, एक सर्द शाम को नेहा और में दोनों रानी झील के किनारे पर टहल रहे थे मैंने उफनती लहरों को देखते हुए नेहा से पूछा कुछ लोग कहते हैं। आगे... |
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सन्देशब्रजेश पाण्डेय
मूल्य: Rs. 175 ब्रजेश जी ने अपनी कविता के माधयम से आपसे–हमसे अपने विचार बड़ी सहजता–सरलता एवं कुशलतापूर्वक साझा किये हैं। आगे... |
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सारथी का सन्देशगंदर्भ आनन्द
मूल्य: Rs. 250 प्रस्तुत पुस्तक में अलग-अलग काव्य-छन्दों का अध्यायवार विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। जिस प्रकार मूल पुस्तक में अठारह अध्याय दिये हुए हैं, ठीक उसी प्रकार प्रस्तुत पुस्तक में अठारह सर्गों का अध्यायवार समावेश किया गया है। आगे... |
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सिसकियाँनवल सिंह
मूल्य: Rs. 200 कविताओं के विषय कुछ इस प्रकार हैं जैसे बरसात, नदियां, पहाड़, धूप इत्यादि और ग़ज़लों में, कविताओं में और नज़्मों में इनकी उपस्थिति कुछ ज्यादा ही मिलेगी। आगे... |
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सुखमन का मोड़ाकुशलेन्द्र श्रीवास्तव
मूल्य: Rs. 200 कहानियां सीमेन्टी बयार में शूल भरी राहों को खोजती है, उसका हर पात्र भटकता हुआ प्रतिबिम्ब है जिसे मातृत्व से प्यार है, जिसे अपनी माटी से स्नेह है जिसे अपने एकाकी हो जाने पर एतराज नहीं है, शायद समाज के वर्तमान परिवेश से निकले ये पात्र हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आगे... |