नई पुस्तकें >> सुखमन का मोड़ा सुखमन का मोड़ाकुशलेन्द्र श्रीवास्तव
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कहानियां सीमेन्टी बयार में शूल भरी राहों को खोजती है, उसका हर पात्र भटकता हुआ प्रतिबिम्ब है जिसे मातृत्व से प्यार है, जिसे अपनी माटी से स्नेह है जिसे अपने एकाकी हो जाने पर एतराज नहीं है, शायद समाज के वर्तमान परिवेश से निकले ये पात्र हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कहानियां सीमेन्टी बयार में शूल भरी राहों को खोजती है, उसका हर पात्र भटकता हुआ प्रतिबिम्ब है जिसे मातृत्व से प्यार है, जिसे अपनी माटी से स्नेह है जिसे अपने एकाकी हो जाने पर एतराज नहीं है, शायद समाज के वर्तमान परिवेश से निकले ये पात्र हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कल्पनाशीलता से परे जीवंत स्वरूप लेकर वे हमसे प्रश्न कर रहे हैं और हम निरूत्तर हैं, हम नि:शब्द हैं। एक था राजा, एक थी राजकुमारी कहानी के दिन लद गए अब प्रेमचंद का होरी चाहिये, हमारे बीच से निकला कोई गरीब चाहिये जिसकी दास्तां हमारे सूख चुके अश्कों के किसी कोने से अश्रु की एक बूंद ढूंढ कर गालों पर बिखेर सकें।