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जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो

मुझे घर ले चलो

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :359
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5115
आईएसबीएन :81-8143-666-0

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औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान


यूरोप-भ्रमण क्या आसान वात है? बहरहाल एमस्टरडम में उतरकर मुझे इतनी खुशी हुई कि मेरा नाचने का मन हो आया। यहाँ मुझे जहाज के पेट से निकलकर, किसी अलग राह से नहीं जाना पड़ा। लोग अचरज से मुँह वाय मुझे घूर नहीं रहे थे।

यहाँ छोटू'दा से मेरी भेंट होगी। मैं 'एक्ज़िट' लिखे दरवाज़े की तरफ लगभग दौड़ पड़ी, लेकिन इससे पहले एमिग्रेशन! पासपोर्ट दिखाकर बाहर निकल जाने के रास्त में, लाइन! लेकिन अब तो मुझे कतार में खड़े होने की आदत नहीं रही। अव तो मुझे बुलेटप्रूफ गाड़ी से जहाज और जहाज से वुलेटप्रूफ गाड़ी की आदत पड़ चुकी है। तमाम मुसाफिर एमिग्रेशन पासपोर्ट दिखाकर वाहर निकलते जा रहे थे। एमिग्रेशन का आदमी किसी को भी रोक नहीं रहा था, लेकिन हाय ग़ज़व! मुझे रोक लिया गया। क्यों? मैंने क्या कसर किया है? कुछ नहीं?

मुझसे सवाल किया गया, वेहद मुश्किल सवाल !

"इस देश में क्यों घुसना चाहती हैं?"

"अपने भाई से मिलने!"

"आपके भाई का नाम क्या है?"

"रज़ाउल करीम कमाल!"

"वह क्या हॉलैंड का नागरिक है?"

"नहीं, वह नागरिक नहीं है।''

"फिर वह क्या है? यहाँ क्या कर रहा है?"

"बांग्लादेश विमान में नौकरी करता है। जहाज जब यहाँ रुकता है, वे लोग भी रुकते हैं। 'वे लोग' से मेरा मतलव है-जहाज के क्रू! मेरा भाई भी एक क्रू है।"

"तुम्हारे भाई का पता क्या है?"

"होटल का ठिकाना?"

मैंने होटल का नाम बता दिया।

"टॉकी के जरिए सावित कर सकती हो कि वह तुम्हारा भाई है?"

"वह मेरा भाई है?"

"तुम्हारे भाई यहाँ कितने दिनों रहेगा?"

"तीन दिन!"

"तुम कितने दिन रुकोगी?"

"तीन दिन!"

"उसके बाद, कहाँ जाओगी?"

"स्वीडन!"

"क्यों? स्वीडन क्यों?"

"क्योंकि फिलहाल मैं वहीं रहती हूँ।"

"अब तुम यहीं से स्वीडन लौट जाओ या पुर्तगाल! जहाँ से तुम आई हो।" “मैं पुर्तगाल क्यों वापस जाऊँ? मैं वहाँ तो रहती नहीं..."

“यहाँ तुम नहीं घुस सकतीं।"

"मेरे पास जब इस देश का वीज़ा मौजूद है तो मुझे घुसने क्यों नहीं दिया जाएगा?"

"उहुँ! नहीं जाने दिया जाएगा।"

मैं अडिग खड़ी रही।

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    अनुक्रम

  1. जंजीर
  2. दूरदीपवासिनी
  3. खुली चिट्टी
  4. दुनिया के सफ़र पर
  5. भूमध्य सागर के तट पर
  6. दाह...
  7. देह-रक्षा
  8. एकाकी जीवन
  9. निर्वासित नारी की कविता
  10. मैं सकुशल नहीं हूँ

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