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जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो

मुझे घर ले चलो

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :359
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5115
आईएसबीएन :81-8143-666-0

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औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान


ग्रीन हाउस? मेरे लिए यह नाम नया है। ग्रीन हाउस का मतलब है, काँच की दीवार से घिरा, काँच की छत से घिरा कमरा । उस कमरे में कृत्रिम तरीके से तापमान बढ़ा-घटाकर, साग-सब्जियाँ, फल-फूल उगाएँ-खिलाएँ जाते हैं। टमाटर पूरे साल भर, ग्रीन हाउस में ही उगाए जाते हैं। मेरे मन में भी हर पल सवाल उठते रहते हैं। जानने की जिज्ञासा मन में उमड़ती-घुमड़ती रहती है। यहाँ तक कि गैबी, जो सभी कुछ रहस्य की पर्तों में छुपाए रखता है, उससे भी जानकारी लेने की तीखी चाह का कोई अंत नहीं था। सड़कों पर ही कतार-दर-कतार गाड़ियाँ खड़ी करने पर, मैं फ्रांस में ही अचकचा गई थी। यहाँ स्वीडन में भी वही नज़ारा।

"यहाँ क्या किसी के पास गैरेज नहीं है? सड़कों पर गाड़ी खड़ी करने से कोई असविधा नहीं होती? यहाँ चोरी-वोरी नहीं होती?"

"सबके पास गैरेज नहीं होता। ना, यहाँ चोरी-चकारी भी नहीं होती। चोरी भला क्यों होने लगी? किसी को कोई अभाव तो है नहीं, जो कोई चोरी करे।"

"हाँ, यह भी सच है।"

गैबी से मैं सैकड़ों सवाल किया करती हूँ। हर वक्त जवाव न भी मिलता हो, इसके वावजूद मेरा सवाल करना नहीं थमा। इधर कई दिनों से गैबी की तरफ से, उसके यहाँ कुछ दिन गुज़ारने का आमंत्रण मिलता रहा है। उस दिन वह छुट्टी पर था। सुनने में आया कि वह इधर महीने भर से छुट्टियाँ लेता रहा है। इन दिनों मेरी देख-भाल की जिम्मेदारी काफी कुछ राष्ट्रीय दायित्व जैसा है। मुझे ख़ास कोई जानकारी नहीं थी।

बहरहाल, मैं वदस्तूर स्तंभित हो आई, क्योंकि लेना, गैबी की बोवी, शाम या रात को अपनी नौकरी से लौटकर, उसने मुस्कराते हुए मुझसे पूछा, “गैबी के साथ वक्त अच्छा गुज़रा न?"

बांग्लादेश में यह असंभव है। वहाँ कोई भी औरत संदेहमुक्त नहीं हो पाती, अगर वह अकेले कमरे में अपने पति के साथ किसी जवान औरत को छोड़ जाती। मैं, जो औरत-मर्द की दोस्ती के मामले में अनदार हद तक उदार हूँ, मुझ जैसी औरत के मन में भी शक जाग उठा था। मुझे शक हो गया था कि गैबी का कोई इरादा है। वह ज़रूर मेरी तरफ हाथ बढ़ाने वाला है या मुझसे प्रेम-निवेदन करने वाला है या ऐसा ही कुछ और करने वाला है। ङ के खिलाफ भी मेरे मन में शक नहीं जागता, अगर ङ खुद इस वात का ज़िक्र न करता कि उसने अपने विदेश आने की वात, अपनी बीवी को नहीं बताई और शम्सुर रहमान की प्रेमिका के बारे में बताते हुए, व अगर मेरे बदन के करीव न खिसक आते । इस दूर द्वीप में एकाकी जीवन गुजारते हुए कभी-कभी मुझे ख़याल आता है, मैंन शायद ऊ पर अन्याय किया है। असल में प्रकृति के काफी करीव आकर मेरा मन वदल जाता है, कुछ और ही हो जाता है। इयान जैसे संवेदनशील इंसान से बातचीत करते हुए, प्रकृति मेरे लिए खूबसूरत हो उठती है। प्रकृति की खूबसूरती मुझे और सुख देती है।

यूँ पलिस के साथ, मैं अड्डेवाजी तो नहीं करती, लेकिन चलते-फिरते ही हममें एक किस्म का मधुर रिश्ता उभर आया है। उन लोगों से मुझे काफी विपयों की जानकारी मिलती है और सीखती भी हूँ। मुझे जूतं के फीते वाँधना नहीं आता था। एन क्रिस्टीन ने मेरा हाथ पकड़कर मझे जतों के फीते वाँधना सिखाया। एक दिन ऐन क्रिस्टीन के हाथ से लगकर लिलियाना की अलमारी पर रख काँच के वर्तनों का ढेर गिरकर चकनाचूर हा गया।

रोनाल्ड शक्ल-सूरत से बेहद खूबसूरत है। उसने कई बार मुझसे दरयाफ्त किया कि मैंने 'वॉडीगार्ड' फ़िल्म देखी है या नहीं। नहीं, मैंने नहीं देखी। बाद में वह फ़िल्म भी देख डाली । व्हिटनी ह्युस्टन, काली गायिका है। उसका वॉडीगाई गोरा! कविन कॉस्टनर! केविन कॉस्टनर से व्हिटनी को मुहव्वत हो जाती है। रोनाल्ड भी क्या मुझसे इश्क करना चाहता है? उस जैसे सुदर्शन नौजवान के लिए क्या अन्दर ही अन्दर मेरे मन में भी प्यास जागती है? शायद जागती है। उसकी ऐसी नीली-नीली आँखें! ऐसे गुलाबी होंठ! ऐसी खूबसूरत हँसी!

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    अनुक्रम

  1. जंजीर
  2. दूरदीपवासिनी
  3. खुली चिट्टी
  4. दुनिया के सफ़र पर
  5. भूमध्य सागर के तट पर
  6. दाह...
  7. देह-रक्षा
  8. एकाकी जीवन
  9. निर्वासित नारी की कविता
  10. मैं सकुशल नहीं हूँ

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