लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो

मुझे घर ले चलो

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :359
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5115
आईएसबीएन :81-8143-666-0

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

419 पाठक हैं

औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान


इस बार स्ट्रसबुर्ग में तीसरी बार आना हुआ है। इसी वर्ष के अप्रैल में आते टेलीविजन के प्रेस की आज़ादी' शीर्षक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आयी थी! दूसरी बार अभी हाल ही फ्लाक और मेयर, कैथरीन ट्रटमान के आमंत्रण पर! इससे पहले जब मैं स्ट्रसबुर्ग आयी थी, तभी यूरोपीय यूनियन के प्रेसीडेंट और विविध मंत्रिगण और मानवाधिकार शाखा के कार्यकर्ताओं से सौजन्य मुलाक़ात का आमंत्रण मिला था, जबकि इस बार मुझे यूरोपीय यूनियन का शाखारव पुरस्कार मिलने वाला है, लेकिन इस बार भेंट-मुलाक़ात का कोई आयोजन नहीं था। थोड़ा गंभीर सन्नाटे का परिवेश! खैर, इसकी वजह मैं पहले दिन ही जान गयी। जिन सज्जन पर मेरी देखभाल का दायित्व था, वे कुछ कागज-पत्तर लेकर, रीजेंट पितित फ्रांस होटल में मुझसे मिलने आए। ये सज्जन अंग्रेज हैं। वे यूरोपीय पार्लियामेंट में काम करते हैं। कल कार्यक्रम कैसे शुरू होगा, इस बारे में धाराप्रवाह विवरण देकर, वे अपने दायित्व से फ़ारिग हो गए।

उसके बाद उन्होंने कहा, “आपको क्या यह खबर है कि आपके विरोधी कुष्ट लोग पैरिस से स्ट्रसबुर्ग आए हैं। कल उन लोगों ने यहाँ एक प्रेस कान्फ्रेंस की।। लोगों ने यूरोपीय पार्लियामेंट में अर्जी दी है कि आपको यह पुरस्कार न दिया जाए।"

मेरे सिर से पाँव तक एक बर्फीली धार बह गयी।

"तो क्या...?"

"क्या मतलब...?"

"तो पुरस्कार नहीं दिया जा रहा है?''

वे सज्जन हँस पड़े, "बेशक़ दिया जा रहा है! लेकिन कल अगर कोई अशोभनीय घटना घट जाए और आप घबड़ा जाएँ, इसलिए आपको सतर्क कर दिया गया।"

"उन लोगों का नाम क्या है?"

"उन लोगों ने पर्चियाँ बाँटी हैं। नाम है-जॅदान आलिए और ताहर बेन जेलुन।"

"अच्छा! अच्छा! ये वही लोग हैं।"

"हमारे नियम के मुताबिक जिसे यह शाखारव पुरस्कार मिलता है, उसके देश के राजदूत को आमंत्रित किया जाता है। आपके मामले में बांग्लादेश के राजदूत को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन, लोगों ने सूचित किया है कि वे लोग नहीं आ सकेंगे।"

उस व्यक्ति ने एक कागज की फोटोकॉपी खोलकर मेरे सामने रखते हुए कहा, “वांग्लादेश दूतावास की तरफ से हमें यह सूचना भेजी गयी है।''

उस कागज पर बांग्लादेश दूतावास की मुहर और हस्ताक्षर समेत गोपनीयता के भी निशान अंकित थे। बाईं तरफ गणप्रजातंत्री बांग्लादेश सरकार छपा हुआ! बीच में तारीख : 08.11.1994 और नंबर 18262! दाहिनी तरफ-

Embassy of Bangaladesh
29-31, Rue jacques jordeans
1050 Brussels Belgium
Tel 640 5500-640 5606
No. BEB/HR/5/94

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. जंजीर
  2. दूरदीपवासिनी
  3. खुली चिट्टी
  4. दुनिया के सफ़र पर
  5. भूमध्य सागर के तट पर
  6. दाह...
  7. देह-रक्षा
  8. एकाकी जीवन
  9. निर्वासित नारी की कविता
  10. मैं सकुशल नहीं हूँ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book