जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
मागुरा जिले में मुहम्मदपुर उपजिला रायपुर यूनियन के राहतपुर गाँव के निवासी हरेन विश्वास की पत्नी, नाबालिग लड़की और उसके बेटे की बहू के साथ उसी इलाके के प्रभावशाली नजीर मृधा ने बलात्कार किया। इस मामले की शिकायत दर्ज कराने पर नजीर नायर और उसके सहयोगियों ने ऐसा अत्याचार शुरू किया कि हरेन विश्वास और उसके परिवार को देश छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा।
19 और 20 मई को गोपालगंज जिले में कोटालीपाड़ा उपजिला के देवग्राम में पुलिस बंगभूमि आन्दोलन में शरीक होने के अभियोग में उस गाँव के अनिल कुमार बागची, सुशील कुमार पाण्डे, माखनलाल गांगुली को गिरफ्तार किया गया। काफी रुपये वसूलने के बाद उन्हें छोड़ा गया। झालकाठी जिले के उपजिला मीराकाठी गाँव के रमेशचन्द्र ओझा को जबरदस्ती धर्मान्तरित किया गया। रमेशचन्द्र की पत्नी मिनती रानी और उसके बड़े भाई नीरद ओझा पर भी धर्म बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा है। मिनती रानी ने जब खुद स्थानीय जाने-माने लोगों से यह बात कही तो उन्हीं को उल्टे पाशविक अत्याचार भुगतने की धमकी दी गई। मिनती रानी अब जान बचाने के डर से भागी-भागी फिर रही हैं।
गोपालगंज जिले में कचुवा उपजिला के जवाई गाँव में सुधीर वैद्य की पत्नी के साथ सुलतान नाम के एक नौकरी से निकाले गये पुलिस जवान ने बलात्कार किया। लोकलाज के डर से उस महिला ने अपने आपको कहीं छिपा लिया है। इतना ही नहीं, उसे जान से मार डालने की धमकी भी दी गई है। उसी गाँव के उपेन्द्र माला की एक गाय को जबह करके मुसलमान खा गये। उसने जब उसकी शिकायत की तो उल्टे उसे ही लांछित होना पड़ा। गोपालगंज की वौलताली यूनियन के बौलनताली गाँव में कार्तिक राय ने अपने ही खेत के धान की फसल की रक्षा करते हए मुहल्ले के मुसलमानों के हाथों जान दे दी। और उसकी पत्नी रेणुका इस निर्दयी हत्याकाण्ड को उनके दबाव में आकर ‘स्वाभाविक मृत्यु' कहने को बाध्य हुई।
कुमिल्ला जिले में लाकसाम उपजिला के दक्षिण चाँदपुर के प्रेमानन्द शील की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की मंजुरानी शील का 4 दिसम्बर, 1988 की रात आठ बजे अब्दुर रहीम ने अपने दल-बल के साथ अपहरण किया। दूसरे दिन सुबह लासाम थाने में शिकायत दर्ज की गयी। फिर भी मंजूरानी का अब तक कोई पता नहीं चला। अपहरणकर्ता प्रेमानन्द शील और उसके परिवार के सदस्यों को धमकाते फिर रहे हैं। पूरे मामले में पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। इस इलाके के अभिभावक अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे हैं।
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