लोगों की राय

जीवन कथाएँ >> लज्जा

लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :81-7055-777-1

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

360 पाठक हैं

प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


माया समझ गई है कि चाहे कारण कुछ भी हो सुरंजन आज उन्हें किसी के घर छिपने के लिए नहीं ले जायेगा। निरुपाय होकर उसने खुद ही अपनी सुरक्षा के बारे में सोचा है। 'सुरक्षा' शब्द ने सुरंजन को काफी सताया है।

सुरक्षा नब्बे के अक्तूबर में भी नहीं थी। प्रसिद्ध ढाकेश्वरी मन्दिर में आग लगा दी गयी। पुलिस निष्क्रिय होकर सामने खड़ी तमाशा देखती रही। कोई रुकावट नहीं डाली गयी। मुख्य मन्दिर जल कर राख हो गया। अन्दर घुस कर उन लोगों ने देवी-देवताओं के आसन को विध्वस्त कर दिया। उन्होंने नटमन्दिर, शिवमन्दिर, अतिथिगृह, उसके बगल में स्थित श्री दामघोष का आदि निवास, गौड़ीय मठ का मूल मन्दिर, नटमन्दिर, अतिथिशाला आदि का ध्वंस करके मन्दिर की सम्पत्ति लूट ली। उसके बाद फिर माधव गौड़ीय मठ के मूल मन्दिर का भी ध्वंस कर डाला। जयकाली मन्दिर भी चूर-चूर हो गया। ब्रह्म समाज की चारदीवारी के भीतर वाले कमरे को बम से उड़ा दिया गया। राम-सीता मन्दिर के भीतर आकर्षक काम किया हुआ सिंहसान तोड़-फोड़ कर उसके मुख्य कमरे को नष्ट कर दिया। नया बाजार के मठ को भी तोड़ दिया गया। बनग्राम मन्दिर को सब्बल से तोड़ा गया। शंखारी बाजार के सामने स्थित हिन्दुओं की पाँच दुकानों में लूटपाट व तोड़फोड़ के बाद उन्हें जला दिया गया। शिला वितान, सुर्मा ट्रेडर्स, सैलून और टायर की दुकान, लॉण्ड्री, माता मार्बल, साहा कैबिनेट, रेस्टोरेन्ट-कुछ भी उनके तांडव से बच नहीं पाया।

शंखारी बाजार के मोड़ पर ऐसा ध्वंस-यज्ञ हुआ कि दूर-दूर तक जहाँ भी नजर जाती, ध्वंस विशेष के सिवाय कुछ भी नजर नहीं आता था। डेमरा शनि अखाड़े का मन्दिा भी लूटा गया। पच्चीस परिवारों का घर-द्वार सब कुछ दो-तीन सौ सा प्रदाधिक संन्यासियों द्वारा लूटा गया। लक्ष्मी बाजार के वीरभद्र मन्दिर की दीवारें तोड़ कर अन्दर का सब कुछ नष्ट कर दिया गया। इस्लामपुर रोड़ की छाता और सोने की दुकानों को लूट कर उनमें आग लगा दी गयी। नवाबपुर रोड पर स्थित मरणचाँद की मिठाई की दुकान, पुराना पल्टन बाजार की मरणचाँद की दुकान आदि को भी तोड़ दिया गया। राय बाजार के काली मन्दिर को तोड़ कर वहाँ की मूर्ति को रास्ते पर फेंक दिया गया। सुत्रापुर में हिन्दुओं की दुकानों को लूट कर, तोड़ कर उनमें मुसलमानों के नाम पट्ट लटका दिये गये। नवाबपुर के 'घोष एण्ड सन्स' की मिठाई की दुकान को लूट कर उसमें 'नवाबपुर युवा यूनियन क्लब' का एक बैनर लटका दिया गया। नवाबपुर की 'रामधन पंसारी' नामक प्राचीन दुकान को भी लूटा गया। बाबू बाजार पुलिस चौकी से मात्र कुछ गज की दूरी पर अवस्थित 'शुकलाल मिष्ठान्न भंडार' को धूल में मिला दिया गया। वाद्ययंत्र की प्रसिद्ध दुकान 'यतीन एण्ड कम्पनी' के कारखाना व दुकान को इस तरह तोड़ा गया कि सिलिंग फैन से लेकर सब कुछ भस्मीभूत हो गया। ऐतिहासिक साँप मन्दिर का काफी हिस्सा तोड़ दिया गया। सदरघाट मोड़ में स्थित रतन सरकार मार्केट भी पूरी तरह ध्वस्त हो गयी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book