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लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :81-7055-777-1

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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


आज विजय दिवस है। इसी दिन बांग्लादेश आजाद हुआ था। 'आजाद' शब्द सुरंजन को जहरीली चींटी की तरह काटता है। पूरा देश विजय दिवस समारोह मना रहा है, तोप दाग रहा है, चारों तरफ खुशियाँ मनाई जा रही हैं। सुरंजन को कोई खुशी नहीं है। हमेशा सुरंजन इस दिन सुबह ही घर से निकल जाता था, इधर- उधर कोई कार्यक्रम करता फिरता था। ट्रक पर घूम-घूमकर गाना गाता था। सुरंजन को लगता है, इतने बरसों तक उसने फालतू काम में ही समय नष्ट किया है। उसे किस चीज की स्वाध निता मिली है, क्या फायदा हुआ उसे 'बांग्लादेश' के आजाद होने से? 'जय बांग्ला, जय बांग्ला' 'पूर्व दिगन्त से सूर्य उठा' 'रक्त से लाल-रक्त से लाल', 'विश्व कवि का स्वर्ण बांग्ला, नजरूल का बांग्ला देश, जीवनानंद की रूपसी बांग्ला जिसके सौन्दर्य की नहीं है सीमा', 'एक समुद्र खून के बदले लायी जिसने बांग्ला स्वाधीनता, हम लोग तुम्हें नहीं भूलेंगे', 'हम लोग एक फूल को बचाएंगे, इसलिए युद्ध करते हैं, हम लोग एक चेहरे की हँसी के लिए युद्ध करते हैं'-ये गीत बार-बार सुरंजन के होंठों पर आना चाहते हैं। लेकिन वह आने नहीं देता। सुरंजन को यह सब सुनने की इच्छा होती है। वह प्राणप्रण से अपनी छाती की आकुलता को दबा देता है।

पूरे दिन सोये रहने के बाद वह एक गोपन इच्छा को जन्म देता है। उस इच्छा को वह जिलाये रखता है, ताकि वह बनी रहे और पुष्पित-पल्लवित होती रहे। सारा दिन वह उसकी जड़ में पानी सींचता रहा। आखिर इच्छा-लता पर फूल भी खिलता है, वह उसकी महक भी लेता है। उस इच्छा को दिन भर सेंते रहने के बाद रात आठ बजे वह घर से निकलता है। रिक्शे वाले से बोला, जहाँ इच्छा, ले चलो। रिक्शावाला उसे तोपखाना, विजयनगर, कांकराइल, मग बाजार घुमाते हुए रमना ले गया। सुरंजन ने रात में रोशनी की सजावट देखी। आलोकित राजपथ को क्या मालूम कि वह एक हिन्दू लड़का है। जानने पर शायद वह पक्की सड़क भी कहती दूर हटो। आज यह इच्छा पूरी न हुई तो हृदय के कोष-कोष में जो आग जल रही है, वह नहीं बुझेगी। यह काम न करने पर अटकती हुई सांस वाली इस जिन्दगी से उसे मुक्ति नहीं मिलेगी। शायद यह काम किसी समस्या का समाधान नहीं है, फिर भी उसे तसल्ली होगी। यह काम करके वह अपना गुस्सा, क्षोभ, यन्त्रणा को थोड़ा ही सही, कम कर सकेगा।

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