जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
बच्ची ने पूछा, 'आप मिट्टी पर क्यों सो रहे हैं?'
'मिट्टी मुझे अच्छी लगती है।'
'मिट्टी मुझे भी बहुत अच्छी लगती है। हमारे इस घर में आँगन था, हम लोग इस मकान को छोड़कर जा रहे हैं, नये मकान में आँगन नहीं है। मिट्टी भी नहीं है।'
'इसका मतलब है तुम खेल भी नहीं पाओगी।'
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