जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
गोपाल के घर को भी लूटा गया है। ये सुरंजन के बगल वाले मकान में ही रहते हैं। एक दस बारह वर्ष की लड़की सुरंजन के घर आयी। वह गोपाल की छोटी बहन है। आते ही उसने इनका टूटा-फूटा घर देखा। वह कमरे में दबे पाँव चलती है। सुरंजन लेटे-लेटे उसे देखता रहा। वह लड़की उसे बिल्ली की तरह लगती है। इस उम्र में ही उसकी आँखों में नीला डर समाया हुआ है। वह सुरंजन के कमरे के दरवाजे के पास खड़ी होकर गोल-गोल आँखों से देखती है। सुरंजन सारी रात फर्श पर ही पड़ा रहा। बरामदे की धूप को देखकर उसे पता चला कि दिन काफी निकल आया
है। वह हाथ से इशारा करते हुए उसे बुलाता है। पूछा, 'तुम्हारा नाम क्या है?'
'मादल।'
'किस स्कूल में पढ़ती हो?'
'शेरे बांग्ला बालिका विद्यालय।'
इस स्कूल का नाम पहले 'नारी शिक्षा मंदिर था'। इसे लीला नाग ने बनवाया था। क्या आज कहीं भी लीला नाग का नाम लिया जाता है? जिस वक्त लड़कियों के पढ़ने का प्रचलन नहीं था उस वक्त वह घर-घर जाकर लड़कियों को स्कूल में पढ़ने के लिए उत्साहित करती थी। ढाका शहर में उसने खुद भाग-दौड़कर स्कूल का निर्माण किया था। जो आज भी है। मतलब वह इमारत अब तक है, लेकिन नाम बदल गया है। संभवतः लीला नाग का नाम लेना मना है, 'नारी शिक्षा मंदिर' के नाम लेने पर भी अलिखित निषेधाज्ञा है या नहीं क्या पता। यह भी बी. एम. कालेज, एम. सी. कालेज की तरह ही है। ताकि संक्षेपीकरण की गांठ खुलने पर मुसलमान देश में हिन्दुत्व फिर से प्रकट न हो जाए। इकहत्तर में भी ढाका के रास्ते का नाम परिवर्तन करने की साजिश चल रही थी। पाकिस्तानी लोगों ने शहर के 240 रास्तों का नाम बदल कर इस्लामिक नाम रख दिया था। लालमोहन पोद्दार लेन को अब्दुल करीम गजनवी स्ट्रीट, शंखारी नगर लेन को गुल बदन स्ट्रीट, नवीन चाँद गोस्वामी रोड को बखतियार खिलजी रोड, कालीचरण साहा रोड को गाजी सालाउद्दीन रोड, राय बाजार को सुल्तानगंज, शशिभूषण चटर्जी लेन को सैयद सलीम स्ट्रीट, इंदिरा रोड़ को अनार कली रोड़ कर दिया गया।
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