जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
'उधर की खबरें सुनकर इनका भी माथा ठीक नहीं है। किसे दोष दें! वहाँ 'हमें' मार रहे हैं तो यहाँ 'तुम लोगों' को। क्या जरूरत थी मस्जिद तोड़ने की! इतने बरसों की पुरानी मस्जिद। महाकाव्य के चरित्र से राम की जन्मभूमि खोजने के लिए मस्जिद को खोद रहे हैं इंडियन लोग। कुछ दिनों बाद कहेंगे ताजमहल में हनुमान का जन्म हुआ था, इसलिए ताजमहल तोड़ो। वस, तोड़ देंगे। भारत में कहते हैं सेकुलरिज्म की चर्चा होती है! माया को आज क्यों उठा ले गये? मुख्य नायक तो अडवाणी और जोशी हैं। सुना है, 'मटियाबुर्ज' की हालत भयावह है।'
सुरंजन लावारिस लाश की तरह जमीन पर पड़ा रहता है। उस कमरे से आ रही किरणमयी के रोने की आवाज और सुधामय की अस्पष्ट कराह बेलाल के दुःख को और घना कर देती है।
'माया अवश्य लौट आयेगी। वे लोग तो जिन्दा लड़की को निगल नहीं जायेंगे। चाची जी से कहना, हिम्मत रखें। और तुम भी लड़कियों की तरह क्यों रो रहे हो? रोकर समस्या का समाधान होगा? और आप लोग भी बैठे क्यों हो? लड़की गयी कहाँ, ढूँढ़ तो सकते हैं।'
विरुपाक्ष ने कहा, 'हमें तो अभी-अभी पता चला। किसी को पकड़ ले जाने पर क्या ढूँढ़ कर निकाला जा सकता है? फिर खोजेंगे भी कहाँ।'
'जरूर गांजा-हेरोइन लेता होगा, मुहल्ले का ही कोई होगा। लड़की पर नजर थी ही। इसलिए मौका पाते ही उठा ले गया। अच्छे आदमी क्या यह सब करते हैं? आजकल के शोहदे क्या घिनौनी हरकत कर रहे हैं। इसका मूल कारण आर्थिक अनिश्चयता है, समझे?'
विरुपाक्ष ने सिर झुका लिया। इनमें से किसी से बेलाल का परिचय नहीं है। वेलाल उत्तेजित हो गया, पाकेट से 'बेसन' और लाइटर निकाला। सिगरेट उसके हाथ में ही थी। बोला, 'शराब कोई समाधान हुई? आप लोग ही कहिए, क्या शराब कोई समाधान है? इस देश में कोई दंगा हुआ है? यह सब तो दंगा नहीं है। मिठाई खाने के लालच में लड़के मिठाई की दुकान लूटते हैं। सुना है, भारत में अब तक चार हजार कि छह हजार दंगे हो चुके हैं। हजारों-हजार मुसलमान मर चुके हैं। यहाँ कितने हिन्दू मरे? हर हिन्दू इलाके में ट्रक भर-भर के पुलिस लगायी गयी है।'
कोई कुछ नहीं बोला। सुरंजन भी नहीं। उसकी बात करने की इच्छा नहीं होती। उसे बहुत नींद आ रही है। बेलाल सिगरेट नहीं सुलगाता है। पास ही जरा एक काम है, बोलकर चला जाता है। एक-एक कर दूसरे भी चले जाते हैं।
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