जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
हैदर कोशिश कर रहा है, फिर भी चिन्ता रूपी ततैया उसके सारे बदन में काट रहा है। सारी रात हैदर का होंडा पुराने शहर का चक्कर काटता रहा। मस्तानों के दारू का अड्डा, जुए का अड्डा, स्मगलरों की अँधेरी कोठरियों को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते अजान सुनाई पड़ने लगा। भैरवी राग में गाया गया अजान का स्वर सुरंजन को अच्छा लगता था। आज यह उसे बहुत बुरा लग रहा है। अजान हो रहा है, इसका मतलब है रात खत्म होने को है। माया अब तक नहीं मिली! टिकाटुली में आकर हैदर होंडा रोकता है। कहता है, सुरंजन, दिल छोटा मत करना। देखता हूँ, कल क्या किया जा सकता है! अस्त-व्यस्त घर में बैठी किरणमयी दरवाजे की तरफ व्याकुल नजरों से देख रही है। सुरंजन माया को लेकर लौटेगा, यह सोचकर सुधामय भी अपने चेतनाहीन अंग के साथ निद्राहीन, उद्विग्न समय बिता रहे हैं। उन लोगों ने देखा कि बेटा खाली हाथ वापस आया है। माया उसके साथ नहीं है। क्लांत, व्यर्थ, नतमस्तक, उदास सुरंजन को देखकर उनकी जुबान बंद हो गयी। तो क्या माया अब नहीं मिलेगी? दोनों ही डरकर सहमे हुए हैं। घर का दरवाजा, खिड़की सब बंद हैं। किसी भी घर में रोशनदान नहीं है। घर के अंदर हवा अटकी हुई है। सीलन की महक आ रही है। वे लोग हाथ-पाँव-सिर को समेटे बैठे हुए हैं। वे अजीब से भूत की तरह दिखायी पड़ रहे हैं। सुरंजन को किसी से बात करने की इच्छा नहीं होती है। उन लोगों की आँखों में ढेर सारे सवाल हैं। सारे सवालों का तो एक ही जवाब है, माया नहीं मिली।
सुरंजन फर्श पर पैर फैलाकर बैठ जाता है। उसे उबकाई आ रही है। इतनी देर में शायद माया के साथ सामूहिक बलात्कार हो गया होगा। अच्छा, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि छह वर्षीय माया जिस प्रकार दो दिनों के बाद लौट आयी थी, इस बार भी लौट आए। सुरंजन ने दरवाजा खुला छोड़ दिया है, माया वापस आयेगी, माया लौट आये, बचपन की तरह उदासीन पैरों से वापस आ जाये। इस छोटे-से ध्वस्त, सर्वहारा परिवार में वह लौट आये। हैदर ने वचन दिया है कि माया को और ढूँढ़ेगा। वचन जब दिया है, तब सुरंजन क्या सपना देख सकता है कि माया लौटेगी! माया को वे लोग क्यों उठा ले गये? माया हिन्दू है इसलिए? और कितने बलात्कार, कितने खून, कितनी धन-संपदा के बदले हिन्दुओं को उस देश में जिन्दा रहना पड़ेगा? कछुवे की तरह सिर गड़ाये! कितने दिनों तक? सुरंजन खुद से जवाब चाहता है। लेकिन नहीं मिलता।
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