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नाटक-एकाँकी >> दरिंदे

दरिंदे

हमीदुल्ला

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 1987
पृष्ठ :138
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1454
आईएसबीएन :00000

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आधुनिक ज़िन्दगी की भागदौड़ में आज का आम आदमी ज़िन्दा रहने की कोशिश में कुचली हुई उम्मीदों के साथ जिस तरह बूँद-बूँद पिघल रहा है उस संघर्ष-यात्रा का जीवन्त दस्तावेज़ है यह नाटक


पिगवान : दुश्मन के भी कान होते हैं। वी विल हैव ड्रिंक्स।

(सभी हाथ हवा में उछालते हैं और काल्पनिक प्याले उठाते हैं।) चियर्स।

हनी : चियर्स !
लोमड़ी और भालू : चियर्स !
पिगवान : फॉर दा गुड हेल्थ ऑव लेडी फ़ॉक्स।
हनी : फॉर द गुड हेल्थ ऑव लॉर्ड बियर !

    (हलका पार्श्व नृत्य-संगीत बजता है ! पिगवान लोमड़ी के साथ और हनी भालू के साथ नृत्य करने लगती है।)

पिगवान : वॉट ए वण्डरफुल पार्टनरशिप। फ़िफ़्टी, फ़िफ़्टी।
हनी : ( भालू के साथ नृत्य करती) इट इज टू मच।
भालू : डोण्ट बी सिली !
पिगवान : (लोमड़ी के साथ नृत्य करता) सी, हाउ हैप्पी दे आर ऐण्ड हाउ दे बिल बी इन फ्यूचर ! आई विल मेक हिम मैरी हनी। ए गुड ट्रीट फॉर ऐनीमल ऐण्ड मैन आफ्टर ए लैप्स ऑव थाऊजेण्टस ऑव सेनचुरीज।
लोमड़ी : लव्ली !
पिगवान : डोण्ट बी जेलस।
हनी : हाउ हैण्डसम !
भालू : हाउ स्वीट !
हनी : आर यू एनजॉइंग द डान्स ?
भालू : येस। रियली !
हनी : आइ लव यू फ्रॉम द इनर कोर ऑव माई हार्ट !
भालू : हार्ट ! बाज़ार में मिलते हैं नकली।
हनी : यह दिल नकली नहीं है।
भालू : यह दिल दिल नहीं है। यहाँ एक परमिट है। टेण्डर है। काण्ट्रैक्ट है। लाइसेन्स है।
हनी : लाई।
भालू : आई।
हनी : सेन्स।
भालू : लाई।
हनी : डियर बियर, मुझसे शादी करोगे न ? देखो, लाखों साल बाद इनसान और जानवर में शादी का रिश्ता क़ायम होगा।
पिगवान :ब्रॉड-माइनडेड। वेल एजूकेटेड। अपटू डेट एण्ड सो सोशल।
हनी : प्लीज़ साइन।
पिगवान : फ़ाइन।
भालू : क्या है ?
हनी : कॉण्ट्रैक्ट।
भालू : शादी का ?
हनी : जंगलात के ठेके में फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी पार्टनरशिप का। प्लीज इसपर साइन कर दो।
लोमड़ी : नो।
पिगवान : ओह, प्लीज डू। आई वॉण्ट योर सिग्नेचर्स ऑन दिस।
लोमड़ी : कौन-सा ठेका ?
पिगवान : जिसकी बात तुम दोनों सत्ता से बात करके आये हो।
लोमड़ी: फिर भी।
पिगवान : जंगलात का।
लोमड़ी : हमने जंगल की बात की है।
हनी : बीस लाख का जंगलात का ठेका।
भालू : बीस लाख जानवरों के लिए जंगल की बात।
पिगवान : स्टॉप इट। यू मीन, तुम दोनों ने सत्ता से जंगलात के ठेके की बात नहीं की ?
भालू : बिलकुल नहीं।
पिगवान : वॉट डू यू मीन बाई इट ? आइ वॉज़ अण्डर द इम्प्रेशन ऑव सम बिग बिज़नेस।
हनी : फिर यहाँ हमारे घर में क्या कर रहे हो ?
लोमड़ी : डान्सिंग।
पिगवान : यू स्टुपिड ऐनीमल्स !
हनी : गेट आउट !

    (प्रकाश लुप्त। पार्श्वसंगीत। पुनः प्रकाश। स्त्री-पुरुष)

अतुल (पु.) :रति, माई लव ! तुमसे शादी से पहले इस अतुल ने कभी किसी स्त्री को इतने करीब से नहीं देखा।
रति (स्त्री.) : इतनी उम्र हो जाने पर भी तुम्हारा किसी से सम्बन्ध नहीं रहा ?
अतुल : नहीं।
रति : तो शादी की सलाह किसने दी ?
अतुल : दोस्तों ने ! उन्होंने मुझे बताया कि स्त्री के साथ से आदमी का व्यक्तित्व निखरता है।
रति : इसलिए...।
अतुल : अरे, बातों-बातों में कितना वक्त हो गया। देर हो रही है। दफ्तर चलूँ। अच्छा, मैं जाता हूँ।

(पुरुष चला जाता है। स्त्री उसे जाते हुए देखती है। सोचने की मुद्रा में।)

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