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नाटक-एकाँकी >> दरिंदे

दरिंदे

हमीदुल्ला

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 1987
पृष्ठ :138
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1454
आईएसबीएन :00000

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आधुनिक ज़िन्दगी की भागदौड़ में आज का आम आदमी ज़िन्दा रहने की कोशिश में कुचली हुई उम्मीदों के साथ जिस तरह बूँद-बूँद पिघल रहा है उस संघर्ष-यात्रा का जीवन्त दस्तावेज़ है यह नाटक


जानवर और इनसान को जीने का बराबर का हक है। वे सारे काम बन्द किये जायें, जिनसे जानवरों की सेहत और ज़िन्दगी पर बुरा असर पड़ता है। जंगल काटने बन्द किये जायें। हवा का दूषण रोका जाये। जानवरों के लिए अच्छे और सस्ते मकान बनाये जायें। उन्हें पहनने के लिए कपड़े दिये जाएँ। भोजन की पर्याप्त व्यवस्था हो। समाजवाद का प्रसार नेताओं की तरह जानवरों में भी किया जाये जिससे उनका घर बने, वे फले-फूले और समाज में उनकी इज़्ज़त बढ़े।
वि.दा. : अगर ऐसा नहीं हुआ तो ?
लोमड़ी : तो क्रान्ति होगी।
वि.दा. : क्रान्ति ? इस देश में सबकुछ हो सकता है, लेकिन क्रान्ति नहीं हो सकती। क्रान्ति की चर्चा मैंने भी सुनी है। काले दिलों की सफेद क्रान्ति। पीले चेहरों की हरी क्रान्ति।
लोमड़ी : यह क्रान्ति ज़रूर होगी। यह ऐसे प्राणियों की क्रान्ति है, जिनके पास रहने को मकान नहीं। पहनने को कपड़े नहीं।
शेर : भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
वि.दा. : तुम्हें इस क्रान्ति का विश्वास है ? मुझे तो विश्वास नहीं है।
लोमड़ी : तुम अपने को विद्वान कहते हो और यह हारा हुआ स्वर ?
वि.दा. : यह इस सदी का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि सत्ता और अधिकार राजनीतिज्ञों के हाथ में है।
लोमड़ी : यानी सत्ता गाँजे, चरस, शराब और पेटीकोट के हाथ में है।
शेर : नहीं, सत्ता यू एन. ओ के हाथ में है।
वि.दा. : नहीं, नहीं, नहीं। सत्ता सिर्फ डॉलर्स और रूबल्स के हाथ में है। डॉलर्स और रूबल्स। रूबल्स और डॉलर्स।

(पार्श्वसंगीत। धीरे-धीरे प्रकाश लुप्त होता है। पुनः प्रकाश। पिगवानवाला का प्रवेश)

पिगवान : (विंग्स में) कम आन, कम आन,। (विंग्स में दूसरी ओर जाता है।) हनी बेबी। देखो तो कौन आया है ?
हनी : (विंग्स से आवाज़ आती है।) कौन है, डैडी ?

    (पिगवानवाला पीछे मुड़कर देखता है।)

पिगवान : अरे कहाँ रुक गये ? (वापस विंग्स की तरफ़ आता है।) प्लीज कम इन, कम न। डोण्ट बी कॉशन्स। इसे अपना ही घर समझो। (भालू और लोमड़ी का प्रवेश। सामने के दूसरे विंग्स से हनी का प्रवेश। पिगवानवाला हनी से) मिलो इनसे। मिस फॉक्स। मिस्टर बियर, दी ग्रेट।
हनी : मिस. फॉक्स, मिस्टर बियर।
पिगवान : (लोमड़ी और भालू से) कम नियर। शी इज माई डॉटर। हनी दी स्वीटी !
हनी : होय।
भालू : होय।
हनी : (भालू से) हाऊ डू य डू ?
भालू : ओ. के.।
हनी : (लोमड़ी से) एण्ड यू ?
लोमड़ी : फाइन।
हनी : यू पीपल आर रियली वण्डरफुल।
पिगवान : डोण्ट बी सरप्राइज़्ड सिली, बेबी। क्या तुमने एम.जी. एम. की फिल्मों में बोलने वाला खच्चर नहीं देखा है ? ही हैज गॉट ए नेम। अच्छा ही नाम है उसका, आ...।
हनी : फ्रांसिस।
पिगवान : ऐक्ज़ेक्टली। और मुझसे तो आप लोग मिल ही चुके हैं। थरमसजी भरकसजी पिगवानवाला।
भालू : काफी बड़ा नाम है।
पिगवान : वेरी करेक्ट। काफी बड़ा नाम है।
लोमड़ी : हम तो छोटे नाम से पुकारेंगे।
पिगवान : श्योर, श्योर।
लोमड़ी : मिस्टर पिग ओन्ली।
पिगवान : वेरी ट्रयू। आ एम सीरियसली लुकिंग फॉर ए वेरी-वेरी ब्राइट फ्यूचर इन यू। (भालू के पास आता है।) आर यू कॉम्फर्टेबल ?
भालू : येस, ऑल राइट।
हनी : (लोमड़ी से) बी कॉम्फर्टेबल।
लोमड़ी : थैंक्यू।
पिगवान : (भालू से) हाउ इज योर फादर ?
भालू : ही इज डेड।
पिगवान : आई एम सो सॉरी टू हियर।
हनी : (लोमड़ी से) एण्ड योर्स ?
लोमड़ी : पता नहीं।
हनी : (भालू से) पिता जी को क्या हुआ था ?
भालू : डोण्ट नो।
पिगवान : ही वाज एक गुड फ्रेण्ड ऑव माइन।
हनी : पिता जी का क्या नाम था ?
भालू : भालू।
पिगवान : यह तो तुम्हारा नाम है। अच्छा ही नाम था उनका ?
भालू : मेरे दादा जी का नाम भी भालू था। मेरे परदादा का नाम भी भालू था मेरे सरदादा का नाम भी...
पिगवान : वह जब भी मुझे मिले, इट वाज ए ग्रेट एक्सपीरियेन्स। (भालू की याद में रोने लगता है।) ओह डियर भालू !
भालू और लोमड़ी : (रोने लगते हैं) भालू !
पिगवान : भालू।

भालू और लोमड़ी भालू : भालू।
हनी : (चुप कराते हुए) डैड ! डैड !
पिगावान : भालू।
हनी : डोण्ट बी सो इमोशनल, डैड। ऐसा हो जाता है।
पिगवान : ओह, ही वाज सो काइण्ड टू मी। ए फ़ाइन थिंग ऑन अर्थ।
हनी : ये तुम्हें कहाँ मिले ?

पिगवान : ये मुझे मिले थे ऐण्ड आई वॉज़ सो हैप्पी टू सी दिस लिटिल चैप। (भालू के पास जाता है।) कितना बड़ा हो गया है अब ! मैंने इसे छोटा-सा देखा था। हुआ यूँ, बेबी, कि जैसे ही ये सत्ता से मिलकर बाहर आये, मैं इन्हें पहचान गया। तुम्हें तो मालूम ही है, मैं सत्ता से जंगलात के ठेके की बात करने गया था।
भालू : हम जंगल की बात करने गये थे।
पिगवान : वन एण्ड द सेम थिंग। मैंने पूछा, कितने की बात करके आये हो ?
लोमड़ी : लाखों की।
पिगवान : दो लाख या तीन लाख ?
भालू : इससे ज्यादा।
लोमड़ी : चार लाख।
भालू : नहीं और।
पिगवान : पाँच लाख ?
भालू : संख्या बड़ी है।
पिगवान : दस लाख ?
लोमड़ी : और।
पिगवान : बीस लाख ?
भालू : और।
पिगवान : बस, बस, बस। शी !
लोमड़ी : शी !
भालू : शी !

    (सब अपने-अपने होठों पर उँगली रख लेते हैं।)

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