जैन साहित्य
|
तत्त्वार्थराजवार्तिक (द्वितीय भाग) (संस्कृत, हिन्दी)भट्ट अकलंक
मूल्य: $ 14.95 उमास्वामी कृत 'तत्त्वार्थसूत्र' के प्रत्येक सूत्र पर वार्तिक रूप में व्याख्या किये जाने के कारण इस महाग्रन्थ को 'तत्त्वार्थवार्तिक' कहा गया है. आगे... |
|
तत्त्वार्थराजवार्तिक (प्रथम भाग) (संस्कृत, हिन्दी)भट्ट अकलंक
मूल्य: $ 12.95 उमास्वामी कृत 'तत्त्वार्थसूत्र' के प्रत्येक सूत्र पर वार्तिक रूप में व्याख्या किये जाने के कारण इस महाग्रन्थ को 'तत्त्वार्थवार्तिक' कहा गया है. आगे... |
|
न्यायविनिश्चयविवरण (संस्कृत) भाग-2वादिराज सूरि
मूल्य: $ 12.95 'न्यायविनिश्चय' में अकलंकदेव ने जिन तीन प्रस्तावों-- प्रत्यक्ष, अनुमान और प्रवचन में जैन न्याय के सिद्धान्तों का गम्भीर और ओजस्वी भाषा में प्रतिपादन किया है, आगे... |
|
मूकमाटी-मीमांसा (बृहत् ग्रन्थ, तृतीय खंड)आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, प्रभाकर माचवे
मूल्य: $ 30.95 'मूकमाटी-मीमांसा' में समीक्षकों ने प्रयास किया है कि आलोच्य ग्रन्थ का कथ्य उभरकर पाठकों के समक्ष स्पष्ट रूप से आ जाये. आगे... |
|
मूकमाटी-मीमांसा (बृहत् ग्रन्थ, द्वितीय खंड)आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, प्रभाकर माचवे
मूल्य: $ 30.95 'मूकमाटी-मीमांसा' में समीक्षकों ने प्रयास किया है कि आलोच्य ग्रन्थ का कथ्य उभरकर पाठकों के समक्ष स्पष्ट रूप से आ जाये. आगे... |
|
तत्त्वार्थवृत्ति (संस्कृत, हिन्दी)श्रुतसागर सूरि
मूल्य: $ 20.95 जैन आगम में लोकप्रिय आचार्य उमास्वामी (प्रथम शताब्दी ईस्वी) के ग्रन्थ 'तत्त्वार्थाधिगमसूत्र' को संक्षेप में 'तत्त्वार्थसूत्र' और दूसरे शब्दों में 'मोक्षशास्त्र' कहते हैं. आगे... |
|
गोम्मटसार, जीवकाण्ड (द्वितीय भाग)आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती
मूल्य: $ 16.95 जैन धर्म के जीवतत्त्व और कर्मसिद्धान्त की विस्तार से व्याख्या करने वाला महान ग्रन्थ है 'गोम्मटसार'. आगे... |
|
गोम्मटसार, जीवकाण्ड (प्रथम भाग)आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती
मूल्य: $ 16.95 जैन धर्म के जीवतत्त्व और कर्मसिद्धान्त की विस्तार से व्याख्या करने वाला महान ग्रन्थ है 'गोम्मटसार'. आगे... |
|
गोम्मटसार, कर्मकाण्ड (प्रथम भाग)आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती
मूल्य: $ 20.95 जैन धर्म के जीवतत्त्व और कर्मसिद्धान्त की विस्तार से व्याख्या करने वाला महान ग्रन्थ है 'गोम्मटसार'. आगे... |
|
न्यायविनिश्चयविवरण (संस्कृत) भाग-1वादिराज सूरि
मूल्य: $ 20.95 'न्यायविनिश्चय' में अकलंकदेव ने जिन तीन प्रस्तावों-- प्रत्यक्ष, अनुमान और प्रवचन में जैन न्याय के सिद्धान्तों का गम्भीर और ओजस्वी भाषा में प्रतिपादन किया है, आगे... |