लोगों की राय

विविध >> मनोविश्लेषण

मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

286 पाठक हैं

‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


अखबार ने माफी मांगी और लिखा, "यह वाक्य इस तरह होना चाहिए था 'दी को प्रिंस।''1 इसी तरह, एक युद्ध-संवाददाता ने एक प्रसिद्ध सेनापति से, जिसकी कमजोरियां काफी प्रसिद्ध थीं, मिलने के बाद जो वर्णन लिखा उसमें सेनापति का उल्लेख 'यह बैटल-स्केअर्ड वैटरन' (अर्थात् युद्धभीत यौद्धा) छपा। अगले दिन भूल-सुधार और क्षमा-प्रार्थना में ये शब्द लिखे हुए थे, 'ये शब्द इस तरह होने चाहिए थे-'बौटल-स्कार्ड वैटरन'। यहां स्कार्ड-Scarred शब्द तो ठीक कर दिया गया किन्तु बैटल-Battle के स्थान पर बौटल-Bottle छप गया जिसका यहां कुछ भी अर्थ नहीं निकलता। हम इन घटनाओं का कारण 'प्रेम के भूतों' अर्थात् छापने वालों की असावधानी बता दिया करते हैं इससे कम-से-कम इतना तो ध्वनित होता है कि गलत छपाई का कारण मनोकार्यिकीय सिद्धान्त से कुछ अधिक है।

मुझे नहीं मालूम कि आप इस तथ्य से परिचित हैं या नहीं कि बोलने की गलतियां मनो-आदेश2 द्वारा दूसरे से पैदा भी की जा सकती हैं। एक छोटे-से उदाहरण से यह बात स्पष्ट हो जाएगी। एक बार 'मेड ऑफ ऑरलियन्स' नामक एक नाटक में किसी नौसिखुए को राजा के सामने यह एलान करने का महत्त्वपूर्ण काम सौंपा गया, 'कन्स्टेबल अपनी सोर्ड (अर्थात् तलवार) वापस भेजता है।' मुख्य अभिनेता ने रिहर्सल में डरते हुए नौसिखुए के सामने असली शब्दों के बजाय ये शब्द कई बार मज़ाक में दोहराए, 'कोमफोर्टेबल (घोड़ा-तांगा) अपना स्टीड (घोड़ा) वापस भेजता है।' नाटक खेले जाने के समय उस अभागे अभिनेता ने सचमुच इसी गलत एलान के साथ पदार्पण किया, हालांकि उसे बार-बार यह चेतावनी दे दी गई थी कि ऐसा न करना-शायद इस चेतावनी के कारण ही उसने ऐसा कर डाला।

गलतियों की ये सब छोटी-छोटी विशेषताएं ध्यान बंट जाने के सिद्धान्त से स्पष्ट नहीं होतीं, पर इसका यह मतलब भी नहीं कि इतने से वह सिद्धान्त गलत सिद्ध हो जाता है; सम्भव है कि बीच की कोई ऐसी कड़ी गायब हो जिसके होने पर यह सिद्धान्त बिलकुल सन्तोषजनक हो जाए पर बहुत सारी गलतियों पर एक और पहल से विचार किया जा सकता है।

अपने प्रयोजन के लिए सबसे उपयुक्त समझकर हम बोलने की गलतियों पर विचार करेंगे। इसी तरह, लिखने या पढ़ने की गलतियां भी ली जा सकती हैं। अब हमें सबसे पहले यह ध्यान में ले आना चाहिए कि अब तक हमने सिर्फ यह विचार किया है कि गलत शब्द कब और किन अवस्थाओं में मुंह से निकल जाता है और हमें इसी प्रश्न का उत्तर मिला है। अब उस भूल के स्वरूप पर विचार किया जा सकता है और यह प्रश्न पैदा हो सकता है कि गलती से यह शब्द क्यों निकला, अन्य कोई क्यों नहीं निकला। आप देखेंगे कि जब तक इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिलता और भूल के कार्य की व्याख्या नहीं होती, तब तक वह घटना मनोवैज्ञानिक दृष्टि से निरी आकस्मिक बनी रहती है, चाहे उसकी कार्यिकीय व्याख्या हो चुकी हो।

-----------------------
1. The Crow Prince, जिसमें Crown शब्द का 'n' छूट गया है जिससे बचे हुए शब्द 'Crow' का अर्थ कौआ होता है-अनुवादक
2. Suggestion.

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book