अभ्यस्त पियानो बजाने वाला बिना सोचे ठीक स्वरों पर हाथ रखता है। हो सकता है
कि वह कभी कोई भूल भी कर जाए, पर यदि आपसे-आप, अर्थात् स्वतःचालित, वादन से
गलतियों का खतरा बढ़ जाता है, तो अभ्यस्त वादक की, जिसकी उंगलियां निरन्तर
अभ्यास से बिलकुल स्वतःचालित की भांति चलती हैं सबसे अधिक गलतियां होनी
चाहिए, पर इसके विपरीत, हम देखते हैं कि बहुत-से कार्य तब वहुत सफलतापूर्वक
हो जाते हैं जब उन पर ध्यान खास केन्द्रित नहीं किया जाता, और गलतियां ठीक उस
समय हो जाती हैं जब आदमी सही काम करने के लिए बहुत उत्सुक होता है, अर्थात्
जब आवश्यक ध्यान के लिए कोई भी बाधा नहीं होती। तब यह कहा जा सकता है कि
'उत्तेजना' का प्रभाव है, पर यह बात समझ में नहीं आती कि उत्तेजना ध्यान को
उस लक्ष्य पर केन्द्रित क्यों नहीं कर देती, जिसे प्राप्त करने की इतनी तीव्र
इच्छा है। इसलिए यदि कोई महत्त्वपूर्ण भाषण करते हुए कोई व्यक्ति अपने
अभिप्राय से उल्टी बात कह देता है तो मनोकार्यिकीय या ध्यान के सिद्धान्त से
इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती।
इन गलतियों के सिलसिले में और बहुत-सी छोटी-छोटी बातें हैं, जिन्हें हम नहीं
समझ पाए, और जो इन स्पष्टीकरणों से अधिक सुबोध नहीं हो जातीं। उदाहरण के लिए,
जब कोई आदमी कोई नाम थोड़ी देर के लिए भूल जाता है, तब वह परेशान होता है,
उसे याद करने का पक्का इरादा करता है और इस कोशिश से बाज़ नहीं आ सकता। क्या
कारण है कि इस तरह परेशान होने के बावजूद, वह आदमी उस शब्द पर, जिसके बारे
में वह कहता है कि यह मेरी ज़बान पर चढ़ा हुआ है, और जिसे सामने आने पर वह
तुरन्त पहचान लेता है, अपना ध्यान ले जाने में प्रायः सफल नहीं होता। या एक
और उदाहरण लिया जाए; ऐसी अवस्थाएं भी होती हैं जिनमें गलतियों की संख्या बढ़
जाती है। वे एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं या एक-दूसरे की स्थानापन्न बन जाती
हैं। पहली बार आदमी अपने किसी नियत कार्य को भूल जाता है; अगली बार वह इसे न
भूलने का विशेष संकल्प कर लेता है, परन्तु वह देखता है कि इस बार वह दिन या
समय के बारे में भूल कर गया। या मनुष्य किसी भूले हुए शब्द को याद करने की
तरह-तरह से कोशिश करता है और इस तरह करते हुए एक ऐसा नाम भूल जाता है जिससे
वह सारी कड़ी के उससे पहले वाले नाम को याद कर पाता। यदि तब वह दूसरे नाम को
पकड़कर चलता है तो तीसरे को भूल जाता है और इसी तरह आगे होता रहता है। इस बात
की बड़ी बदनामी है कि गलत छपाई, जो असल में कम्पोज़ीटर की गलती है, बार-बार
उसी रूप में होती जाती है।1 कहते हैं कि इस तरह की एक अड़ियल गलती एक सोशल
डिमोक्रेटिक अखबार में निकल गई थी, जिसमें एक उत्सव का समाचार देते हुए ये
शब्द छप गए थे, "उपस्थित व्यक्तियों में हिज़ हाईनेस क्लाउन प्रिंस भी थे।2
अगले दिन भूल-सुधार की कोशिश की गई।
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1. Substitute
2. अंग्रेज़ी Clown = क्लाउन = विदूषक; असली शब्द Crown Prince = युवराज था;
इसमें 'T' अक्षर के स्थान पर 'L' अक्षर कम्पोज हो गया था-अनुवादक।
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