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मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


पुरुष के लिंग के प्रतीकों में शायद ही कोई ऐसा हो जो मज़ाक में, गंवारू प्रयोगों में या काव्य के शब्दों में, विशेष रूप से पुराने क्लासिकल काव्यों में प्रयक्त न हुआ हो। यहां भी हमें न केवल वे प्रतीक मिलते हैं जो स्वप्न में आते हैं, बल्कि नये प्रतीक भी मिलते हैं। उदाहरण के लिए, विभिन्न प्रकार की दस्तकारियों में काम आने वाले उपकरण, जिनमें सबसे मुख्य है हल। इसके अलावा, जब हम पुल्लिंग प्रतीकों पर आते हैं, तब बड़े विस्तृत और विवादास्पद क्षेत्र में पहुंच जाते हैं, और समय बचाने की दृष्टि से मैं उसका विवेचन नहीं करना चाहता। मैं सिर्फ एक प्रतीक के बारे में दो-एक बातें कहना चाहता हूं जो अद्वितीय हैं। मेरा मतलब तीन संख्या से है। इस संख्या को बहुत सम्भवतः इसके प्रतीकात्मक अर्थ के कारण पवित्र नहीं माना जाता, इस प्रश्न को मैं बिना तय किए छोड़ देना चाहता हूं, पर यह बात निश्चित मालूम होती है कि बहुत-से तीन भागों वाले प्राकृतिक पदार्थ, उदाहरण के लिए, क्लोवर के पत्त (एक तरह का पशुओं का चारा), कोट ऑफ आर्स (कवच और चित्र के रूप में अपनी प्रतीकात्मकता के कारण प्रयोग में लाए जाते हैं। तथाकथित 'फ्रेंच' लिली, जिसमें तीन भाग होते हैं और 'तिपाई' (Trisceles)-वह विचित्र कवच-चिह्न जिसमें दो एक-दूसरे से काफी दूरी पर स्थित द्वीप, जैसे सिसली और आइल ऑफ मैन होते हैं (इस आकृति में एक केन्द्रीय बिन्दु से तीन मुड़ी हुई टांगें आगे को निकली हुई होती हैं), पुरुष-लिंग के छिपे हए रूप ही माने जाते हैं, जिनके प्रतिबिम्बों को पुराने जमाने में भूत, प्रेत आदि को भगाने का सबसे उत्तम साधन माना जाता था। इसके साथ एक वह तथ्य है कि हमारे ज़माने के सौभाग्यप्रेरक कवच को भी आसानी से जननेन्द्रिय या मैथुन-सम्बन्धी प्रतीक के रूप में पहचाना जा सकता है। छोटे-छोटे चांदी के तावीज़ों के रूप में लटकने वाले ऐसे बहुत-से कवचों को देखिए, कोई चार पत्तियों वाला क्लोवर है, कोई सुअर है, कोई कुकुरमुत्ता है, कोई घोड़े की नाल है, कोई नसैनी है, और कोई चिमनी साफ करने वाली झाड़ है। चार पत्तों वाला क्लोवर तीन पत्तों वाले स्थान पर आ गया है, पर असल में तीन पत्तों वाला प्रतीक के प्रयोजन के लिए अधिक ठीक था; सुअर सफलता का प्राचीन प्रतीक है; कुकुरमुत्ता निस्सन्देह शिश्न का प्रतीक है, कुछ कुकुरमुत्तों का नाम इस अंग से उनकी स्पष्ट समानता से ही रखा गया (फैलस इम्पुडिकस); नाल स्त्रीयोनि की रूपरेखा प्रस्तुत करती है; और चिमनी साफ करने वाली झाड़ तथा उसकी नसैनी इस समुदाय में इसलिए आती है क्योंकि उनके पेशे की तुलना गंवारू भाषा में मैथन से की जाती है।1 हम उसकी नसैनी को स्वप्न में दीखने वाला यौन प्रतीक बता चुके हैं। भाषा के प्रयोगों से पता चलता है कि Steigen, अर्थात् चढ़ना शब्द पूरी तरह मैथुन-सम्बन्धी अर्थ प्रकट करता है जैसे इन वाक्यांशों में-Den Frauen nachsteigen (स्त्रिीय के पीछे दौड़ना) और ein alter Steiger (एक पुराना बदमाश या व्यभिचारी)। इस प्रकार फ्रेंच में, जिसमें 'कदम' के लिए ला मर्श (La marche) है, हमें पुराने बदमाश के लिए बिलकुल इसी तरह का शब्द प्रयोग मिलता है : आं व्यू मार्शोर (Un vieux marcheur)। विचारों के इस साहचर्य से सम्भवतः इस तथ्य का कुछ सम्बन्ध है कि बहुत-से बड़े पशुओं में मैथुन के लिए मादा या स्त्री पशु पर 'चढ़ने' की आवश्यकता होती है।

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1. अंग्रेजीभाषी रोगियों में निश्चित रूप से यह बात होती है।-अंग्रेज़ी अनुवादक के ऊपर अंकित कुल-मर्यादासूचक चित्र)

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