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मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


कल्पना से उत्पन्न सबसे अच्छी तरह ज्ञात सृष्टियों से हम पहले परिचय कर चुके हैं। वे दिवा-स्वप्न कहलाती हैं, और ये ऊंची-ऊंची बड़ी-बड़ी कामुक इच्छाओं की काल्पनिक परितुष्टि है, और यथार्थता विनय और धीरज रखने के लिए जितनी भर्त्सना करती है, उतना ही अधिक समय उन पर लगाया जाता है। उसमें काल्पनिक सुख का सारतत्त्व, अर्थात् सन्तुष्टि का ऐसी अवस्था में आ जाना जिसमें वह यथार्थता की अनुमति पर निर्भर नहीं रहती है, असंदिग्ध रूप से दिखाई देता है। हम जानते हैं कि ये दिवा-स्वप्न रात्रि-स्वप्नों के बीज और नमूने हैं। मूलतः रात्रि-स्वप्न ऐसा दिवा-स्वप्न ही है जिसे मानसिक व्यापार के रात में होने वाले रूप ने विपर्यस्त कर दिया है, और जो इस कारण बन पाता है कि निसर्ग-वृत्ति सम्बन्धी उत्तेजनों को रात में आजादी रहती है। हम पहले ही जान चुके हैं कि दिवा-स्वप्न का चेतन होना आवश्यक नहीं, और अचेतन दिवा-स्वप्न भी होते हैं। इसलिए ऐसे अचेतन दिवा-स्वप्नों से जिस तरह रात्रि-स्वप्न पैदा होते हैं, वैसे ही स्नायविक लक्षण भी पैदा होते हैं।

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1. Testing reality

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