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संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


सरकार को सोचना चाहिए 'स्त्री' के लिए। क्या यह उचित है कि चार स्त्रियां एक आदमी की पत्नी बनें? वह हिंदू हो या मुसलमान, यह असंगत है। चार लिया एक आदमी की पत्नियां बनें, यह बात ही अमानवीय है।

यह सवाल नहीं है कि कौन हिंदू है, कौन मुसलमान है? यह अपनी-अपनी इच्छा की बात है। फिर, कल हम यह भी कह सकते हैं कि मुसलमान को हत्या करने की थोड़ी सुविधा देनी चाहिए ईसाई को थोड़ी या हिंदू को थोडी सुविधा देनी चाहिए हत्या करने की। नहीं हमें व्यक्ति और आदमी की दृष्टि मे विचार करने की जरूरत नहीं है। यह सवाल पूरे मुल्क का है, इसमें हिदू मुसलमान और ईसाई अलग नही किए जा सकते।
दूसरी बात विचारणीय है कि हमारे देश में हमारी प्रतिभा निरंतर क्षीण होती चली गयी है और अगर हम आगे भी ऐसे ही बच्चे पैदा करना जारी रखते हैं तो संभावना है कि हम सारे जगत में प्रतिभा में धीरे-धीरे पिछड़ते चले जाएंगे।
अगर इस जाति को ऊंचा उठाना हो-स्वास्थ्य में, सौंदर्य में, चिंतन में, प्रतिभा में, मेधा में तो हमें प्रत्येक आदमी को बच्चे पैदा करने का हक नहीं देना चाहिए।
संतति नियमन अनिवार्य तो होना ही चाहिए। बल्कि जब तक विशेषज्ञ आशा न दें, तब तक बच्चा पैदा करने का हक किसी को भी नहीं रह जाना चाहिए। मेडिकल बोर्ड जब तक अनुमति न दे दे, तब तक कोई आदमी बच्चे पैदा न कर सके।
कितने कोढ़ी बच्चे पैदा किए जाते हैं, कितने ईडियट, मूर्ख पैदा किए जाते हैं। कितने संक्रामक रोगों से भरे लोग बच्चे पैदा करते हैं और उनके बच्चे पैदा होते चले जाते हैं। और देश में दया और धर्म करने वाले लोग हैं। अगर वे खुद अपने बच्चे न पाल सकते हों, तो हम उनके लिए अनाथालय खोलकर उनके बच्चों को पालने का भी इंतजाम कर देते हैं। ये ऊपर से तो दान और दया दिखाई पड़ रही है, लेकिन है बड़ी खतरनाक। इंतजाम तो यह होना चाहिए कि बच्चे स्वस्थ, सुंदर, बुद्धिमान, प्रतिभाशाली व संक्रामक रोगों से मुक्त हों।

असल में शादी के पहले ही हर गांव में, हर नगर में डाक्टरों की, विचारशील मनोवैज्ञानिकों, साइकोलॉजिस्टस की सलाहकार समिति होनी चाहिए जो प्रत्येक व्यक्ति को निर्देश दे। अगर दो व्यक्ति शादा करते हैं तो वे बच्चे पैदा कर सकेंगे या नहीं यह बता दें। शादी करने का हक प्रत्येक को है। ऐसे दो लोग भी शादी कर सकेंगे, जिनको सलाह न दी गयी हो, लेकिन बच्चे पैदा न कर सकेंगे।

हम जानते हैं कि पौधे पर 'क्रास ब्रीडिंग' से कितना लाभ उठाया जा सकता है। एक माली अच्छी तरह जानता है कि नए बीज कैसे विकसित किए जाते हैं। 

गलत बीजों को कैसे हटाया जा सकता है। छोटे बीज कैसे अलग किए जा सकते हैं, बड़े बीज कैसे बचाए जा सकते हैं। एक माली सभी बीज नहीं बो देता, बीजों को छांटता है।
हम अब तक मनुष्य-जाति के साथ उतनी समझदारी नहीं कर सके, जो एक साधारण-सा माली बगीचे में करता है। यह भी आपको खयाल हो कि जब माली को बड़ा फूल पैदा करना होता है तो वह छोटे फूलों को पहले कांट देता है। आपने कभी फूलों की प्रदर्शनी देखी है, जो फूल जीतते हैं उनके जीतने का कारण क्या है?

उनका कारण यह है कि माली ने होशियारी से एक पौधे पर एक ही फूल पैदा किया, बाकी फूल पैदा ही नहीं होने दिए। बाकी फूलों को उसने जड़ से ही अलग कर दिया, पौधे की सारी शक्ति एक ही फूल में प्रवेश कर गयी।
एक आदमी बारह बच्चे पैदा करता है तो भी कभी भी बहुत प्रतिभाशाली बच्चे पैदा नहीं कर सकता। अगर एक ही बच्चा पैदा करे तो बारह बच्चों की सारी प्रतिभा एक बच्चे में प्रवेश कर सकती है।
प्रकृति के भी बड़े अद्भुत नियम हैं। प्रकृति बड़े अजीब ढंग से काम करती है, जब युद्ध होता है दुनिया में, तो युद्ध के बाद लोगों की संतति पैदा करने की क्षमता बढ़ जाती है। यह बड़ी हैरानी की बात है। युद्ध सै क्या लेना-देना! जब-जब भी युद्ध होता है तो जन्म-दर बढ़ जाती है। पहले महायुद्ध के बाद जन्म-दर एकदम ऊपर उठ गयी, क्योंकि पहले महायुद्ध में कोई साढ़े तीन करोड़ लोग मर गए थे। प्रकृति कैसे इतजाम रखती है, यह भी हैरानी की बात है। प्रकृति को कैसे पता चला कि युद्ध हो गया और अब बच्चो की जन्म-दर बढ़ जाना चाहिए। दूसरे महायुद्ध में भी कोई साढ़े सात करोड़ लोग मरे और जन्म-दर एकदम बढ़ गयी। महामारी के बाद, हैजे के बाद, प्लेग के बाद लोगों को जन्म-दर बढ़ जाती है।

अगर एक आदमी पचास बच्चे पैदा करे तो उसकी शक्ति पचास पर बिखर जाती है। अगर वह एक ही बच्चे पर केंद्रित करे तो उसकी शक्ति, उसकी प्रतिभा प्रकृति एक ही बच्चे में डाल सकती है। 100 लड़कियां पैदा होती हैं, तो 116 लड़के पैदा होते है। यह अनुपात है सारी दुनिया में। और यह बड़े मजे की बात है कि 116 लड़के किसलिए पैदा होते हैं? 16 लड़के बेकार रह जाएंगे, इन्हें कौन लड़की देगा? 100 लड़कियां पैदा होती हैं 116 लड़के पैदा होते हैं। लेकिन, प्रकृति का इंतजाम बहुत ही अद्भुत है। प्रकृति का इंतजाम बहुत गहरा है। वह लड़कियों को कम पैदा करती है और लड़कों को अधिक, क्योंकि उम्र पाते-पाते, प्रौढ़ होते-होते 16 लड़के मर जाते हैं और संख्या बराबर हो जाती है। असल में लड़कियों की जिंदगी में जीने का रेजिस्टेंस, अवरोध-क्षमता लड़कों से ज्यादा है, इसलिए 16 लड़के ज्यादा पैदा होते हैं। हर 14 साल बाद संख्या बराबर हो जाती है! लड़कियों में जिंदा रहने की शक्ति लड़कों से ज्यादा है।

आमतौर से पुरुष सोचता है कि हम सब तरह से शक्तिवान हैं। इस भूल में मत पड़ना। कुछ बातों को छोड़कर स्त्रियां पुरुषों से कई अर्थों में ज्यादा शक्तिवान हैं उनका रेजिस्टेंस, उनकी शक्ति कई अर्थों में ज्यादा है। शायद प्रकृति ने स्त्री को सारी क्षमता इसलिए दी है कि वह बच्चे को पैदा करने की, बच्चे को झेलने की, बड़ा करने की जो इतनी तकलीफदेय प्रक्रिया है, उन सबको झेल सके। प्रकृति सब इंतजाम कर देती है। अगर हम बच्चे कम पैदा करेंगे तो प्रकृति जो अनेक बच्चों पर प्रतिभा देती है, वह एक बच्चे पर ही डाल देगी।
आदमी इसलिए पिछड़ा हुआ है, क्योंकि वह दूसरी चीजों के विषय में वैज्ञानिक चिंतन कर लेता है, लेकिन, आदमियों के सबंध में नहीं करता। आदमियों के संबध में हम बड़े अवैज्ञानिक हैं। हम कहते हैं कि हम कुंडली मिलाके। हम कहते हैं कि हम ब्राह्मण से ही शादी करेंगे।
विज्ञान तो कहता है कि शादी जितनी दूर हो, उतने अच्छे बच्चे पैदा होगे। अगर अंतर्जातीय हो तो बहुत अच्छा, अंतर्देशीय हो; तो और अच्छा और अंतर्राष्ट्रीय हो तो और भी अधिक अच्छा। और आज नहीं तो कल अंतर्राष्ट्रीय हो जाए मंगल पर या कहीं और आदमी मिल जाए तो और भी अच्छा क्योंकि, हम जानते हैं कि अंग्रेजी सांड और हिदुस्तानी गाय हो, तो जो बछड़े पैदा होंगे, उसका मुकाबला नहीं रहेगा।
हम आदमी के संबंध में समझ का उपयोग कब करेंगे?
अगर हम समझ का उपयोग करेंगे, तो जो हम जानवरों के साथ कर रहे हैं, समृद्ध फूलों के साथ कर रहे हैं, वही आदमी के साथ करना जरूरी होगा। ज्यादा अच्छे बच्चे पैदा किए जा सकते हैं, ज्यादा स्वस्थ, ज्यादा उम्र जीने वाले, ज्यादा प्रतिभाशाली। लेकिन उनके लिए कोई व्यवस्था देने की जरूरत है।
परिवार नियोजन, मनुष्य के वैज्ञानिक संतति नियोजन का पहला कदम है। अभी और कदम उठाने पड़ेंगे, यह तो अभी सिर्फ पहला कदम है। लेकिन, पहले कदम से ही क्रांति हो जाती है, वह क्रांति आपके खयाल में नहीं है। वह मैं आपसे कहना चाहूंगा। जो बड़ी क्रांति परिवार नियोजन की व्यवस्था से हो जाती है-हम पहली बार सेक्स को, यौन को संतति से तोड़ देते हैं। अब तक यौन, संभोग का अर्थ था-संतति का पैदा होना। अब हम दोनों को तोड़ देते हैं। अब
हम कहते हैं, संतति को पैदा होने की कोई अनिवार्यता नहीं हे।
यौन और संतति को हम दो हिस्सों में तोड़ रहे है-यह बहुत बड़ी क्रांति है। इसका मतलब अंततः यह होगा कि अगर यौन से संतति के पैदा होने की संभावना नहीं है, तो कल हम ऐसी संतति को भी पैदा करने की व्यवस्था करेंगे, जिसका हमारे यौन से कोई संबंध न हो-यह दूसरा कदम होगा।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga