कहानी संग्रह >> अगला यथार्थ अगला यथार्थहिमांशु जोशी
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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...
परंतु इसके विपरीत पड़ोसने अब तक इस निर्णय पर पहुंच चुकी हैं कि कुत्ते को मुंह लगाने की ज़िम्मेदार वही है। उसके बच्चे रोटी ही नहीं देते, सुबह-शाम अपने हिस्से का दूध भी पिलाते हैं। सफाई करने वाली महिला प्रायः रोज़ देखती है...
यद्यपि इस छोटे से 'प्रश्न' पर वह किसी से उलझना नहीं चाहता (जैसा कि अब उसका स्वभाव बन चुका है) तथापि एक-दो बार दूर-दूर से उसने ऊंची आवाज़ में परोक्ष रूप से कहा भी है कि रात-भर कुत्ते के भौंकने से पड़ोसियों की ही नहीं, खुद उसकी और उसके बच्चों की नींद भी खराब होती है। पर, क्या किया जाए ! कुत्ते को चाहे जितनी दूर भगाएं, वह फिर-फिर लौट आता है।
गत सप्ताह कुत्ते को साइकिल के कैरियर पर बिठाकर वह नौरोजी नगर तक छोड़ आया था, पर जब वह घर लौटा तो पत्नी ने बतलाया कि कुत्ता उसके घर पहुंचने से पहले ही ज़मीन सूंघता हुआ, आंगन में खड़ा पूंछ हिला रहा था।
इसके बाद वह उसे बोरे में लपेटकर चाणक्य पुरी की ओर ले गया था, बहुत से टेढ़े-मेढ़े रास्तों से घुमाता-फिराता। पर इस भूल-भुलैया को भी वह सहजता से पार कर आया था। रात को ज्यों ही उसकी आंखें मुंदने लगीं, त्यों ही बीच चौराहे पर खड़े होकर कुत्ते ने मुंह फाड़कर भौंकना शुरू कर दिया था। देखते-देखते मोहल्ले में फिर शोरगुल शुरू हो गया।
आवेश में भरकर कुछ बलिष्ठ लोगों ने उसे डंडे से मार-मारकर घसीटा, पर ढीठ कुत्ता इतनी हील-हुज्जत के बावजूद केवल कुछ गज़ ही सरका। उसने और अधिक कर्ण-कटु स्वर में चीत्कार करते हुए उन शेष लोगों को भी जगा दिया था जो अब तक आराम की नींद सो रहे थे।
'कमेटी वालों को वह बहुत बार लिख चुका है। किंतु जब भी ‘पिंजरे वाली गाड़ी आती है, कुत्ता न जाने कहां गायब हो जाता है ! दो-तीन बार रीते हाथ लौटने के बाद ‘कमेटी वालों ने अब इधर ध्यान देना ही छोड़ दिया हैं।
वह छत से नीचे सड़क पर चलते साइकिल सवारों को गिनने लगता है। तभी उसके मस्तिष्क में विचार कौंधता है। वह कलाई-घड़ी की ओर देखता हुआ जल्दी-जल्दी नीचे उतर जाता है।
स्टोर-रूम से रस्सी निकालकर वह कुत्ते के गले में कसकर बांधता है और साइकिल के पीछे बिठाकर सरोजनी नगर वाली मेन रोड की ओर चला जाता है।
आज उसने प्रतिज्ञा कर ली है कि रोज-रोज़ की इस 'मुसीबत से छुटकारा पाकर ही रहेगा...
घंटे भर बाद वह लौटता है और शुभ सूचना देता है कि कुत्ते को वह किशनगंज जाने वाली ट्रेन में बिठा आया है।
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