कहानी संग्रह >> अगला यथार्थ अगला यथार्थहिमांशु जोशी
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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...
प्रिय पाठको, रंजना और धीरा की यह कहानी यों तो यहीं समाप्त हो जाती है, पर नैतिकतावादी, रूढ़िग्रस्त समाज को इस बात को कठ से नीचे उतारने में बड़ी कठिनाई होगी। अतः उन्हें संतोष देने के लिए इसके अंत में कुछ परिवर्तन कर देते हैं:
धीरा ने विद्रोह कर दिया। कई नारीवादी संस्थाएं उसके पक्ष में उठ खड़ी हुईं। न्यायालय का निर्णय उसके पक्ष में गया। पति से अलग होकर, दो वर्ष बाद उसने दूसरा ब्याह रचा लिया, एक तलाकशुदा अध्यापक के साथ। कहते हैं, अब वह सुख से दिल्ली में है और जीवन की सार्थकता क्या है, उसे अपने ढंग से तलाश रही है।
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- कथा से कथा-यात्रा तक
- आयतें
- इस यात्रा में
- एक बार फिर
- सजा
- अगला यथार्थ
- अक्षांश
- आश्रय
- जो घटित हुआ
- पाषाण-गाथा
- इस बार बर्फ गिरा तो
- जलते हुए डैने
- एक सार्थक सच
- कुत्ता
- हत्यारे
- तपस्या
- स्मृतियाँ
- कांछा
- सागर तट के शहर