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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


रंजना मेरे लिए हमेशा एक रहस्य रही-एक अबूझ पहेली। कब वह क्या कर बैठे, कुछ कहा नहीं जा सकता। पर हां, एक बात अवश्य है कि यदि वह इतने जीवट की नहीं होती तो शायद कब की समाप्त हो गई होती।

मैं सोचता हुआ कुछ कहता हूं तो जैसे वह सुन नहीं पाती-अपने में भीतर तक डूबी...।

एक साधारण-सी नौकरी से धीरे-धीरे कई सीढ़ियां पार कर वह यहां तक पहुंच पाई थी। हर बार कुछ खोने की शर्त पर ही उसने कुछ पाया था। चाहे या अनचाहे, उसे एक साथ अनेक भूमिकाओं का निर्वाह करना पड़ता, जिसका परिणाम था कि अब वह अनेक वर्जनाओं से हर तरह से मुक्त थी। समाज द्वारा खींची गई सभी लक्ष्मण-रेखाएं अर्थहीन थीं। सारी हदें समाप्त-प्रायः।

ज्यों-ज्यों धूप की परछाइयां लंबी हो रही थीं, त्यों-त्यों माथे की सिलवटें गहरी, और गहरी होती चली जा रही थीं।

किसी 'मल्टी नेशनल कंपनी' में भी रही, पर वह स्थान भी रास नहीं आया। उसका दुग्ध-धवल रूप-रंग, छरहरी देहयष्टि उसके लिए धीरे-धीरे वरदान कम और अभिशाप अधिक बनकर उभर रही थीं, जिससे अनेक प्रश्न करवट ले रहे थे। शायद इसीलिए वह अपने से परे हट रही थी। एक प्रकार का गहरा नैराश्य कहीं घर करता चला जा रहा था।

उसने जैसे सन्नाटा तोड़ते हुए स्वयं से कहा, "बिट्टो ने कार के लिए कहा तो मैंने औने-पौने में फ्लैट बेचकर उसकी व्यवस्था करवा दी। शादी में कुछ तो देना ही था, इसी निमित्त सही।”

मैं सहज-जिज्ञासा से उसकी ओर देखता रहा।

"अच्छा, शिक्षित परिवार था। किसी सीमा तक संपन्न भी। जिस पर धीरे-धीरे आधुनिकता का रंग चढ़ रहा था। पर वरुण मुझे बहुत सरल, सहज, शालीन लगा। गोरा-चिट्टा। यूरोपियन जैसा सुदर्शन। ऐसा वर, ऐसा घर मुझे कहां मिलता? इसलिए मैंने न आगे देखा, न पीछे, 'हां' कर दी। जितना बन सका, दिया ! अपने गहने गलाकर उसके लिए नए फैशन के बनवाए। बैंक के माध्यम से ऋण लिया। ‘फ़िक्स-डिपॉजिट' तुड़वा दिया। पांच-छह साल में सब संभाल लूंगी, यही सोचकर हाथ ढीला छोड़ दिया...।"

रंजना रौ मैं थी। उसी बहाव में बोलती चली जा रही थी, "मालूम है, सवा तीन लाख और ऊपर से लग गए...?"

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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