लोगों की राय

कहानी संग्रह >> अगला यथार्थ

अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

61 पाठक हैं

हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


पगडंडी-जैसा कच्चा रास्ता !

"वह सामने जो जंजीरा दीख रहा है न, कैदी पहले वहां खुले बाड़े में जानवरों की तरह छोड़ दिए जाते थे। यह दीवारों वाली जेल तो बहुत बाद में बनी थी..." वे इस तरह धीरे-से कहते हैं, जैसे स्वयं से बातें कर रहे हों।

हल्की-सी ढलान के बाद अब थोड़ी-सी चढ़ाई है। वृद्ध अपनी चादर संभालते हुए मुड़कर देखते हैं, "उनकी कोई सूचना सरकार ने कभी आप लोगों को नहीं भेजी?"

"ना- !"

"बहुत भले आदमी थे वे, पर थे बहुत जिद्दी। जेल सुपरिंटेंडेंट बारी के जुल्मों के ख़िलाफ़ 17 अप्रैल को उन्होंने भूख-हड़ताल की थी। उसी में प्राण त्याग दिए थे बेचारों ने...।"

‘सेल्युलर-जेल' की दीवारों के पीछे वे एक संकरे से ऊबड़-खाबड़ मार्ग से आगे बढ़ रहे हैं। इस उम्र में भी वृद्ध में बड़ी कड़क है। उससे भी तेज़ गति से वे चल रहे हैं।

बाहर पूर्णमासी का पूरा चांद खिला है। घने बादल छितरा गए हैं। सारा वातावरण निस्तब्ध! हां, सागर में प्रलय-का जैसा ज्वार है। किनारे की चट्टानों में लहरें टूट-टूटकर बिखर रही हैं। सतह पर ढेर सारा सफेद झाग-सा उभर रहा है।

“उनकी मृत्यु के दिन भी ऐसा ही पूरा चांद था ! रात के सन्नाटे में दो बूंख्वार पठान कैदियों ने चुपचाप उनकी नंगी लाश कंधों पर उठाई और ज्वार आए सागर में यहां से छपाक से यों फेंक दी थी...।"

वृद्ध का भारी स्वर भर्रा आया। वे मूर्तिवत स्तब्ध खड़े सागर की उफनती लहरों में कुछ खोजने-से लगते हैं।

कुछ क्षण का मौन तोड़ते हुए कहते हैं, "वह देखो, वह देखो... दूर... समुद्र की लहरों में कुछ तिरता-सा तुम्हें दिख रहा है न ! काला-काला-सा...।''

वह ध्यान से देखता है, एकाग्रभाव से ! सन्नद्ध !

"हां, लहरों के ऊपर एक काला-काला चीथड़ा-जैसा कुछ...।”

"पूर्णमासी की रात को कभी-कभी यह तिरता चीथड़ा-सा लोगों को आज भी दिखलाई देता है...। कुछ लोग वहम भी कहते हैं इसे... पर जो सामने दीख रहा है, क्या वह मात्र वहम है...?"

कहते-कहते एकाएक वे मौन हो जाते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book