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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


पता नहीं कितनी देर तक वह वैसा ही जड़वत खड़ा रहता है !

अब उनके पांव यंत्र की तरह डेरे की ओर मुड़ते हैं। दोनों चुप हैं।

लौटने पर वह फिर कमरे में आता है, पर अब नींद नहीं आती। असंख्य चींटियां बिस्तर पर फिर बिखर गई हैं। केंचुए सारे बाथरूम में बिछ गए हैं। एक धूमिल-सी आकृति बार-बार उसकी आंखों के आगे उभरती है और ओझल हो जाती है...।

दादी आज जिंदा होतीं तो यही कहतीं, "मैं कहती थी न, तेरे दादा जी अभी हैं रे ! एक बार कभी उन्हें देख आती तो मरते समय कितनी शांति मिलती...!"



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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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