कहानी संग्रह >> अगला यथार्थ अगला यथार्थहिमांशु जोशी
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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...
मेरे पास एक अतिरिक्त पुलोवर था। मैंने तुम्हें दिया तो तुमने लिया नहीं !
"तुम्हें ज़रूरत पड़ेगी...।" संकोच से तुमने कहा।
"अरे, मैं हिमालय के बर्फीले क्षेत्र का हूं। तुम सह नहीं पाओगी यहां की भीषण सर्दी ! कहीं ऐसा न हो कि ठंड से सिकुड़कर तुम स्वयं 'ममी' बन जाओ। हास्ता में ही तुम्हें अनंत काल तक सुरक्षित रखने के लिए नार्वेजियन सरकार को पिरामिड बनाना पड़े !" सब हंस रहे थे और तुम दबे गुस्से से मेरी ओर देख रही थीं।
बर्गन की तरफ से पानी के जहाज़ को आना था, लगभग बारह बजे। उसी से ट्राम्सो तथा फिनमार्क।
ठीक बारह बजे जहाज़ आया, तब तक हमारा भी भोजन यानी चना-चबैना हो चुका था। जहाज वातानुकूलित था। इसलिए भीतर पहुंचकर सबको सुकून मिला। बर्फ, पानी, फीयोर्ड, जंगल ! बड़े-बड़े उजाड़ भूखंड ! पानी को चीरकर जहाज आगे बढ़ रहा था।
मैं सबको डेक पर ले आया।
तुम्हारी ओर मुड़कर मैंने कहा, "देखो, उस दिन क्राग्रेरा में जिस 'गल्फ स्ट्रीम' की बात मैंने की थी, वह वहां से चलकर यहां तक आती है। और फिर उससे आगे ट्राम्सो, फिनमार्क में समाप्त हो जाती है।"
अथाह जल में एक कबूतर जैसा सफेद सीगल पक्षी ‘कांव-कांव कर दूर तक उड़ रहा था, जो कुछ समय बाद थककर फिर जहाज़ पर आ जाता।
तुम मेरी आंखों में आंखें डाले, न जाने क्या खोज रही थीं, तुमने बुदबुदाते हुए कहा, “ऐसा अनोखा संसार मैं पहली और अंतिम बार देख रही हूं। इसे मैं तुम्हारी आंखों से देखना चाहती हूं...।”
“मेरी आंखों से तुम्हें रेत, तपते रेत के अलावा और कुछ नहीं दीखेगा। सहारा का रेगिस्तान तुमने देखा होगा। ऐसे जलते-धधकते रेगिस्तान तुम्हें सर्वत्र बिखरे मिलेंगे, जिनकी तपिश स्वयं ही सबको झेलनी पड़ती है। यह बाहर की हरियाली भी एक यथार्थ है, पर यह सब मात्र मरीचिका बनकर रह जाती है तो...।”
"तो क्या यह यथार्थ, यथार्थ नहीं?"
"है क्यों नहीं ! व्यक्ति जीवन भर सारे रेतीले सूखे सागरों को इन्हीं क्षणिक मरीचिकाओं की नाव के सहारे पार कर जाता है। ये क्षणिक सुख आजीवन साथ चलते-चलते कहीं सबसे बड़े सत्य सिद्ध हो जाते हैं...।"
तुम हंस पड़ी थीं, उसी सहज, सरल हंसी में।
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- कथा से कथा-यात्रा तक
- आयतें
- इस यात्रा में
- एक बार फिर
- सजा
- अगला यथार्थ
- अक्षांश
- आश्रय
- जो घटित हुआ
- पाषाण-गाथा
- इस बार बर्फ गिरा तो
- जलते हुए डैने
- एक सार्थक सच
- कुत्ता
- हत्यारे
- तपस्या
- स्मृतियाँ
- कांछा
- सागर तट के शहर