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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


इस पर मां दुल-ढुल रोने लगती, “वह कोई और होगा... और होगा। परदेस का मामला है। हो सकता है, कहीं नौकरी-चाकरी में हों। जब तक टका-दो टका पास नहीं होगा, लौटेंगे किस मुंह !

खेत गिरवी हैं ! रहने को यह टूटी झोंपड़ी-| बर्फ के भार से किसी दिन बैठ गई, तो हम सब भी दबे पड़े मिलेंगे।”

'तू तो निरी पगली है। इत्ते साल हो गए। अब तक तो लोग सात समंदर पार से भी आ जाते हैं। तू मान क्यों नहीं लेती कि वह मर गया है, जब सारी दुनिया यही कह रही है... !

मां का रुदन तब और बढ़ जाता।

'मेरे होते हुए तू क्यों चिंता करती है?' उसने मां का ठंडा हाथ अपने हाथ में ले लिया था। पर मां वैसी ही चुप आंसू पोंछती रही थी।

रात को आग के पास बैठे वे पता नहीं कब तक बातें करते रहे थे ! और पता नहीं कब कांछा को नींद आ गई थी !

रात शायद अधिक बीत गई थी।

आग बुझने पर तनिक सर्दी-सी लगी तो सहसा उसकी नींद उचट गई थी। उसने देखा था-एक कोने में बिछी फटी चटाई पर मां और देवी गुरंग, एक ही पंखी में लिपटकर सो रहे हैं-एक होकर। ऐसे मामा-मामी को भी उसने देखा था, कई बार-कठबाड़े की दीवार की दरार से...

पता नहीं क्यों, उसे यह सब अच्छा नहीं लगा था ! देवी गुरंग भी उसे अच्छा प्रतीत नहीं हुआ था। घोड़े का जैसा मुंह ! ऊपर की ओर उठी बिल्ली की जैसी नुकीली, छितरी मूंछे ! 'हो-हो' मुंह फाड़कर हंसता तो पिशाच-जैसा लगता, वीभत्स !

दो-तीन महीने बाद वह फिर आया था। पता नहीं मां उसके आने पर इतना खुश क्यों थी ! पड़ोस में सुंतोली के घर से चा की पत्ती और गुड़ मांगकर लाई थी। साथ में एक पतीली गेहूं का आटा भी।

इस बार गुरंग तीन-चार दिन तक रुका था। साथ में लाल दवाई की बोतल भी लाया था।

एक दिन आंगन में बैठा वह बकरी को घास खिला रहा था कि बीड़ी का धुआं उगलता हुआ गुरंग बोला था, “खाने के लिए अच्छी है। मेरे घर में चार-पांच पाठियां और हैं, ऐसी ही। इसके खेलने के लिए ला देंगे। आज बहुत सर्दी है, हम इसे भून लेते हैं...।"

मां ने कांछा की ओर देखा था।

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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