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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


"आज बेबी का जन्मदिन है न !” मुस्कराती हुई वह बोली, "आप नहीं आते तो हमें बहुत बुरा लगता।"

एक सजे-संवरे कमरे में वह ले गई। सबसे उसने परिचय कराया। मेरी सुविधाओं का वह इतना ख्याल रख रही थी कि कभी-कभी मुझे असुविधा-सी अनुभव होने लगती।

भोजन के बाद सारे मेहमान एक-एक कर खिसकने लगे, पर वह पास की कुर्सी पर बैठी बातें करती रही।

उसके पति कई बार कमरे से गुजरे। काफी मेहमान भी अब तक जा चुके थे, लेकिन उसकी बातों का सिलसिला समाप्त होता लगता न था।

कई बार वह बोलती-बोलती सहसा चुप हो जाती। मैं बाहर कहीं दूर अंधेरे में टिमटिमाते पीले उदास बल्बों की ओर देखने लगता तो वह भी उसी ओर देखने लगती।

"आप पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं?” उसने न जाने क्या सोचकर कहा तो मैंने सहसा चौंककर उसकी ओर देखा। उसकी गहरी नीली आंखों में एक अजीब-सी वेदना थी...।

वक्त काफ़ी बीत चुका था।

"अच्छा, अब चलूं?” मैंने उसकी ओर देखा।

उसे जैसे समय का भान हुआ। उसने घड़ी की ओर देखा और फिर भागती हुई भीतर गई।

"इन्हें गेट तक छोड़ आएं !" बड़ी मासूमियत से उसने अपने पति से कहा, "थक तो आप भी बहुत गए हैं आज !”

वह अपने पति के कोट का मुड़ा हुआ कॉलर ठीक कर रही थी, "अरे, आपके हाथ इतने गर्म क्यों हैं?" उसने चौंककर कहा।

सचमुच उसके पति की तबीयत ठीक नहीं लग रही थी।

खैर, चलिए, इन्हें छोड़ आएं। फिर आपको दवा दूंगी। अभी तो काफी काम समेटना है।"

वह सफेद शॉल ओढ़े हुए थी। हाथ में टॉर्च लिए आगे-आगे चलकर, पीछे मुड़ रही थी, ताकि सबको रास्ता साफ दिखाई दे।

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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