लेख-निबंध >> जीप पर सवार इल्लियाँ जीप पर सवार इल्लियाँशरद जोशी
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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...
'करप्शन कभी खतम नई होयंगा साहबान।' जादूगर ने कहा और नई घोषणा की 'स्मगलर्स
पैरेडाइज-तस्करबाजों का स्वर्ग।'
लड़की ने जादूगर के हाथ में एक थैला दिया। जादूगर ने दर्शकों को बताया कि वह
खाली है। तभी विंग्स से पुलिस की पोशाक में एक व्यक्ति दाखिल हुआ।
'ऐ, थैले में क्या है? स्मगल का सामान?' पुलिसवाले ने पूछा।
'कुछ नहीं है। हवलदार साब!' जादूगर ने खाली थैला दिखा दिया।
पुलिसवाला चला गया। दूसरी ओर से एक व्यक्ति ने प्रवेश किया। जादूगर ने पूछा,
'स्मगल का माल खरीदेगा साब, वाच, घोड़ी, सेंवटीन ज्वेल, नायलान, सूटपीस,
ब्लेड, जो माँगेगा हम देगा।' और फिर जादूगर ने उसी खाली थैले से घड़ियाँ
निकालकर देना शुरू कर दिया। हर बार वह हाथ डालता और घड़ियाँ निकालता।
खरीदनेवाला उन्हें लेता जाता। पुलिसवाला फिर आया। जादूगर ने दिखा दिया कि
थैला खाली है। वह चला गया। अब जादूगर तस्करी का और सामान थैले से निकालकर
देने लगा। नायलन का थान, टेपरिकार्डर, कैमरे, रेजर आदि। पुलिसवाला फिर आता
है। जादूगर खाली झोला दिखा देता है। पुलिसवाला जाने लगता है। जादूगर उसे आवाज
देकर बुलाता है और उसी झोले से एक घड़ी निकालकर पुलिसवाले को भी दे देता है।
वह पहनता हुआ खुश-खुश चला जाता है।
जनता तालियाँ बजा रही है। जादूगर 'करप्शन आफ इंडिया-भारत में भ्रष्टाचार' को
फिर दोहराता है।
'करप्शन कभी खतम नई होंगा साहबान, थैली पर नजर रखिए।'
नया कार्यक्रम था-'निपोटिज्म-भतीजावाद'!
मंच पर एक जवान लड़का आता है। जादूगर पूछता है, तुम कौन हो। लड़का बताता है कि
वह मंत्री महोदय का भतीजा है। जादूगर उसे एक टेबल पर लिटा देता है।
'देखिए साहबान, हमारे मुल्क में भतीजावाद कैसे ऊपर उठता है। वह बिना कुछ किए
ऊपर उठता है। कोई साधारण आदमी उतना ऊपर नहीं उठ सकता जितना भतीजा उठता है।
जादूगर छड़ी घुमाता है। और टेबल पर सीधे लेटा हुआ भतीजा धीरे-धीरे ऊपर उठने
लगता है। वह अधर में स्थापित हो जाता है।
जनता तालियाँ बजाती है। जादूगर नम्रता से झुकता है।
नेक्स्ट आयटम आफ दि प्रोग्राम : 'डेमोक्रेसी इन इंडिया-भारत में प्रजातत्र।'
तेल के ड्रम या शराब के पीपे के आकार की बड़ी कोठियाँ मंच पर रख दी जाती हैं,
जिनमें एक व्यक्ति चाहे तो पूरा छुप सके। हर ड्रम पर एक राजनीतिक दल का नाम
लिखा हुआ है। एक नेता मंच पर आता है।
'आपका तारीफ?' जादूगर पूछता है।
हम लीडर है, नेता!'
'कौन-से दल का नेता?'
'जिनका मेजारिटी हो उसका नेता?'
जादूगर नेता को एक ड्रम में उतार देता है, ढक्कन रख देता है और जादू की लकड़ी
घुमाता है। नेता एक दूसरे ड्रम से बाहर निकलता है।
'आय! यह तुम क्या किया?'
'हम दलबदल किया।'
नेता फिर उस ड्रम में छुप जाता है। जादूगर लकड़ी घुमाता है। नेता इस बार फिर
नये ड्रम से प्रकट होता है।
दर्शक तालियाँ बजाते हैं। आश्चर्य में हैं कि एक जगह घुसा नेता दूसरी जगह फिर
कैसे आता है। जादूगर झुककर बोलता है, 'डेमोक्रेसी इन इंडिया-भारत में
प्रजातन्त्र!'
जादूगर आखिरी जादू दिखाता है-'गरीब का पेट।'
मंच पर एक यन्त्र लगाया जाता है। बिजली से चलनेवाला आरा, जो हर चीज काट देता
है। मंच पर मैले कपड़े पहने गरीब-सा दुबला-पतला व्यक्ति आता है। जादूगर उसे
टेबुल पर लिटा देता है और आदर्शवादी भाषणों से हिप्नोटाइज कर देता है। यन्त्र
चालू होता है, आरा पेट पर है, पेट कटने लगता है, कट जाता है।
'यह यंत्र हमारे देश का बना यन्त्र है साहबान और यह गरीब का पेट है, जिसे यह
यन्त्र काट रहा है।'
लोग स्तब्ध हैं, फिर तालियाँ बजाने लगते हैं।
'पिछले तेईस साल से हम यह जादू इस देश में हर जगह दिखा रहे हैं। हमें
आशीर्वाद दीजिए, देवियो और सज्जनो कि हम आपकी खिदमत में पेश होते रहें और ऐसे
ही जादू दिखाकर मुल्क का नाम ऊँचा करें। जयहिन्द!'
जादूगर नम्र अदा से झुकता है। तालियाँ बजती रहती हैं।
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